1. परिचय
- भारत कृषि प्रधान देश है, लगभग 70% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है।
- रोटी, कपड़ा और मकान जैसी आवश्यकताएँ कृषि से ही पूरी होती हैं।
- मध्यप्रदेश की मुख्य फसलें – गेहूँ, चना, सरसों, सोयाबीन, मूँगफली।
2. खेत की तैयारी
- जुताई – हल, ट्रैक्टर या मिट्टी पलटने वाले यंत्र से मिट्टी पलट दी जाती है।
- हेरोइंग – मिट्टी के ढेले तोड़कर उसे भुरभुरा बनाने की प्रक्रिया।
- समतलीकरण – पटेला से खेत समतल किया जाता है, जिससे नमी सुरक्षित रहती है।
3. बीज चयन
- अच्छे बीज स्वस्थ, वजनदार, चमकदार और रोगमुक्त होते हैं।
- अंकुरण क्षमता 70-90% होनी चाहिए।
- पानी में डूबे बीज अच्छे होते हैं, ऊपर तैरने वाले कमजोर।
4. बुआई (Sowing)
- बीज बोने को बुआई कहते हैं।
- बुआई के यंत्र – दुफन, सीड ड्रिल, बीजबेधक।
विधियाँ :
- छिटकवां विधि – बीज फैला कर बोना (ज्वार, बाजरा, मक्का)।
- बीजबेधक विधि – वैज्ञानिक विधि, बीज पंक्तियों में बोए जाते हैं।
- पौधरोपण विधि – पहले नर्सरी में बीज बोकर फिर खेत में पौधे लगाना (धान, टमाटर, बैंगन)।
5. खाद एवं उर्वरक
- खाद – जैविक पदार्थों से बनी (गोबर, पत्तियाँ, कचरा)। कम्पोस्ट खाद गड्डों में बनती है।
- उर्वरक – रासायनिक पदार्थ (यूरिया, सुपर फॉस्फेट, पोटाश)।
- उर्वरक से उपज अधिक मिलती है, लेकिन अधिक प्रयोग हानिकारक है।
6. सिंचाई
- पौधों की वृद्धि व पोषण के लिए जल आवश्यक।
- स्रोत – कुआँ, नदी, तालाब, नहर, झील।
- साधन – रहट, ढेकली (पुराने), ट्यूबवेल, स्प्रिंकलर (आधुनिक)।
- धान व गन्ने को अधिक पानी चाहिए, सरसों व चने को कम।
7. निंदाई (Weeding)
- खेत में उगने वाले अवांछित पौधे खरपतवार कहलाते हैं।
- खुरपी या खरपतवार नाशी रसायनों से हटाए जाते हैं।
- इससे फसल को पर्याप्त जल, पोषण और प्रकाश मिलता है।
8. फसल की रक्षा
- फसल को हानि पहुँचाने वाले कारक – पक्षी, टिड्डे, कीट, रोग, चूहे।
उपाय –
- बिजूका (काग भगोड़ा), ढोल बजाना।
- पीड़कनाशी, फफूंदनाशी, शाकनाशी रसायनों का छिड़काव।
अधिक रसायन प्रयोग से पर्यावरण प्रदूषण और स्वास्थ्य पर असर पड़ता है।
9. कटाई व भंडारण
- कटाई – हँसिया (छोटे स्तर पर), कम्बाइन हार्वेस्टर (बड़े स्तर पर)।
- खरीफ फसल की कटाई – सितम्बर-अक्टूबर।
- रबी फसल की कटाई – मार्च-अप्रैल।
- भंडारण – अनाज को सुखाकर बोरे, कोठी, साइलो, गोदाम में रखते हैं।
- नमी व चूहे से बचाव आवश्यक है।
10. फसलों में सुधार
- उन्नत किस्म के बीज, कीट-रोगरोधी प्रजातियाँ।
- बुआई सही समय, दूरी व गहराई पर।
- उचित सिंचाई, खाद, उर्वरक, निंदाई व छिड़काव।
- सुरक्षित भंडारण।
11. जन्तुओं से प्राप्त खाद्य
1. दुग्ध उत्पादन – दूध सम्पूर्ण आहार है।
- देशी नस्लें – साहिवाल, गिर, देवनी।
- विदेशी नस्लें – होल्स्टीन, फ्रेजियन।
- भैंस की नस्लें – मुर्रा, मेहसाना।
2.कुक्कुट पालन – मुर्गी, बतख आदि से अंडे व माँस।
- अंडे सेने के लिए इन्क्यूबेटर का प्रयोग।
- ब्रायलर (माँस हेतु), लेयर (अंडे हेतु)।
- नस्लें – कड़कनाथ, व्हाइट लेग हार्न।
3.मत्स्य पालन – मछलियाँ भोजन व तेल (विटामिन D) का स्रोत।
- समुद्री मछलियाँ – हिल्सा, सालमॉन।
- मीठे पानी की मछलियाँ – रोहू, कतला, मृगला।
4. मधुमक्खी पालन – शहद व मोम प्राप्त होते हैं।
- शहद में शर्करा, एन्जाइम, खनिज व जल।
- शुद्ध शहद पानी में तली में बैठता है।
Leave a Reply