1. वायु का परिचय
- वायु: एक मिश्रण, जो रंगहीन, पारदर्शी और सभी जगह मौजूद होती है।
- महत्व: जलने, श्वसन और प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक। पृथ्वी पर जीवन का आधार।
- अवयव: नाइट्रोजन (78%), ऑक्सीजन (21%), आर्गन (0.95%), कार्बन डाइऑक्साइड (0.03%), जलवाष्प (0.04%), अक्रिय गैसें और धूल के कण।
2. वायु के अवयवों की पहचान
1. जलवाष्प:
- क्रियाकलाप-1: बर्फ से भरे स्टील के गिलास की बाहरी सतह पर पानी की बूँदें बनती हैं।
- निष्कर्ष: वायु में जलवाष्प मौजूद। वर्षा के दिनों और जलाशयों के पास नमी अधिक होती है, इसलिए कपड़े देर से सूखते हैं।
2.कार्बन डाइऑक्साइड:
- क्रियाकलाप-2: चूने के पानी को खुला छोड़ने पर सतह पर सफेद पपड़ी (कैल्शियम कार्बोनेट) बनती है।
- निष्कर्ष: वायु में कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद।
- चूने का पानी बनाना: 10 ग्राम चूना पानी में मिलाकर छान लें, छनित द्रव पारदर्शी होता है।
3.ऑक्सीजन: मोमबत्ती का जलना और ढकने पर बुझना ऑक्सीजन की उपस्थिति दर्शाता है।
4.धूल के कण: अंधेरे कमरे में सूर्य की रोशनी में तैरते कण दिखते हैं।
5. नाइट्रोजन: सबसे अधिक मात्रा (78%) में, लेकिन कम क्रियाशील होने के कारण साधारण प्रयोगों से नहीं पहचानी जा सकती।
3. वायुमण्डल
- परिभाषा: पृथ्वी को चारों ओर घेरे हुए वायु का आवरण।
- वायुमण्डल के स्तर:
- क्षोभमण्डल (ट्रोपोस्फीयर): 0-10 किमी, तापमान ऊँचाई के साथ कम होता है।
- समतापमण्डल (स्ट्रैटोस्फीयर): 10-50 किमी, ओजोन परत (23 किमी पर) सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकती है।
- मध्यमण्डल (मीजोस्फीयर): 50-80 किमी।
- आयनमण्डल (थर्मोस्फीयर): 80 किमी से अधिक, तापमान ऊँचाई के साथ बढ़ता है।
तथ्य:
- 80% गैसें 20 किमी तक पाई जाती हैं।
- क्षोभमण्डल में प्रति किमी ऊँचाई पर तापमान 6°C कम होता है।
4. वायुमण्डलीय दाब
- परिभाषा: पृथ्वी के प्रति इकाई क्षेत्रफल पर वायु द्वारा डाला गया दाब।
- इकाई: पास्कल (Pa), 1 kPa = 10³ Pa, मानक दाब = 760 mm पारा = 101.3 kPa।
- मापन: बैरोमीटर द्वारा।
मरक्यूरी बैरोमीटर:
- संरचना: 1 मीटर लंबी कांच की नली, एक सिरा बंद, पारा भरा, और पारे की कटोरी।
- कार्यप्रणाली: नली को कटोरी में खड़ा कर सिरा खोलने पर पारे का स्तर स्थिर होता है, उसकी ऊँचाई वायुमण्डलीय दाब दर्शाती है।
ऐनीरॉयड बैरोमीटर:
- संरचना: वायुरहित धातु पात्र, संकेतक और स्प्रिंग के साथ डायल।
- कार्यप्रणाली: दाब परिवर्तन से पात्र का ढक्कन हिलता है, जिसे डायल पर नोट किया जाता है।
- नोट: शुद्धता के लिए मरक्यूरी बैरोमीटर से मिलान आवश्यक।
प्रभाव:
- ऊँचाई पर दाब कम होने से दाल गलना मुश्किल, पानी कम ताप पर उबलता है।
- पर्वतारोहियों की नाक से खून निकलता है, क्योंकि रक्त का दाब अधिक होता है।
- प्रेशर कुकर में दाब अधिक होने से क्वथनांक बढ़ता है, भोजन जल्दी पकता है।
- तथ्य: मानव शरीर पर 15,000 किग्रा का बल वायुमण्डलीय दाब के कारण।
5. ऑक्सीजन
- महत्व: श्वसन और जलने के लिए आवश्यक (21%)।
प्रयोगशाला में निर्माण:
- सामग्री: पोटेशियम क्लोरेट (KClO₃) और मैग्नीज डाइऑक्साइड (MnO₂) (4:1)।
- विधि: मिश्रण को परखनली में गर्म करें, गैस को पानी के नीचे गैसजार में एकत्र करें।
- समीकरण: 2KClO₃ → 2KCl + 3O₂ (MnO₂ उत्प्रेरक)।
गुण:
- रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन।
- जल में थोड़ा घुलनशील, इसलिए जल में जीवन संभव।
- स्वयं नहीं जलती, जलने में सहायता करती।
- ऑक्सीकरण: पदार्थ ऑक्सीजन में जलकर ऑक्साइड बनाते हैं, जैसे:
- C + O₂ → CO₂ (कार्बन डाइऑक्साइड)
- S + O₂ → SO₂ (सल्फर डाइऑक्साइड)
- 2Mg + O₂ → 2MgO (मैग्नीशियम ऑक्साइड)
- लोहा + O₂ + नमी → जंग (आयरन ऑक्साइड)
उपयोग:
- श्वसन (प्राणवायु)।
- हृदय/सांस रोगियों के लिए कृत्रिम श्वसन।
- पर्वतारोहियों और गोताखोरों के लिए सिलेंडर।
- रॉकेट ईंधन (LOX)।
- धातु काटने और वेल्डिंग में।
6. नाइट्रोजन
- महत्व: 78%, जीवों की वृद्धि और स्वास्थ्य के लिए आवश्यक।
- नाइट्रोजन चक्र:
- वायवीय परिवर्तन: बिजली चमकने से नाइट्रोजन ऑक्साइड बनते हैं, जो वर्षा में नाइट्रेट बन जाते हैं।
- जैविक परिवर्तन: फलीदार पौधों (जैसे चना) की जड़ों में राइजोबियम जीवाणु नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदलते हैं।
- प्रोटीन संचय: पौधे नाइट्रेट को प्रोटीन में बदलते हैं, जो जंतुओं में भोजन से पहुँचता है।
- अमोनीकरण: मृत जीव/मलमूत्र को नाइट्रोसोमोनास जीवाणु अमोनिया में बदलते हैं।
- नाइट्रीकरण: नाइट्रोबैक्टीरिया अमोनिया को नाइट्रेट में बदलते हैं।
- विनाइट्रीकरण: स्यूडोमोनास जीवाणु नाइट्रेट को नाइट्रोजन गैस में बदलकर वायुमण्डल में छोड़ते हैं।
उपयोग:
- ज्वलन को मंद करता है।
- उर्वरक निर्माण।
- द्रव नाइट्रोजन प्रशीतक के रूप में।
- त्वचा ग्राफ्टिंग और जीव कोशिकाओं का संरक्षण।
- पैकेट बंद भोजन (जैसे चिप्स) को ताजा रखने में।
- निष्क्रिय वातावरण बनाने में।
7. ग्रीनहाउस प्रभाव
परिभाषा: कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसें (जलवाष्प, मेथैन, नाइट्रस ऑक्साइड, CFC) सूर्य के अवरक्त प्रकाश को सोखकर वायुमण्डल को गर्म करती हैं।
प्रक्रिया: सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है, कुछ परावर्तित होता है, कुछ पृथ्वी सोख लेती है, और कुछ कार्बन डाइऑक्साइड सोख लेती है, जिससे तापमान बढ़ता है।
महत्व:
- ठंडे प्रदेशों में कांच के घरों में फूल/सब्जियाँ उगाना।
- घरों को गर्म रखने के लिए मोटे कांच का उपयोग।
हानियाँ: जंगलों की कटाई और प्रदूषण से CO₂ बढ़ने पर तापमान 3-6°C बढ़ सकता है, जिससे ग्लेशियर पिघलेंगे, बाढ़ आएगी।
8. महत्वपूर्ण तथ्य
- ओजोन परत: समतापमण्डल में, पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा।
- वायुमण्डल का महत्व: मौसम भविष्यवाणी और आपदा प्रबंधन में सहायक।
- कार्बन डाइऑक्साइड: प्रकाश संश्लेषण और ग्रीनहाउस प्रभाव में भूमिका।
Leave a Reply