1.प्रकाश का अपवर्तन
- जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो अपने मार्ग से मुड़ जाती है।
- इस मुड़ने की घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
उदाहरण :
- पानी भरे गिलास में पेंसिल मुड़ी हुई दिखाई देती है।
- सिक्का पानी से भरी कटोरी में ऊपर उठा हुआ दिखता है।
2. विरल और सघन माध्यम
- विरल माध्यम – घनत्व कम, प्रकाश की चाल अधिक। (जैसे हवा)
- सघन माध्यम – घनत्व अधिक, प्रकाश की चाल कम। (जैसे पानी, काँच)
- नियम :
- विरल → सघन माध्यम जाने पर किरण अभिलम्ब की ओर झुकती है।
- सघन → विरल माध्यम जाने पर किरण अभिलम्ब से दूर हटती है।
3. अपवर्तनांक
- किसी माध्यम में प्रकाश की चाल उस माध्यम के घनत्व पर निर्भर करती है।
- हवा/निर्वात में प्रकाश की चाल = 3 x
- काँच में प्रकाश की चाल ≈ 2× 108 m/s
- अनुपात = अपवर्तनांक (μ)
- उदाहरण : हवा से काँच का अपवर्तनांक ≈ 1.5
- अपवर्तनांक मात्रक रहित होता है।
4. प्रिज्म और वर्ण विक्षेपण
- प्रिज्म – पारदर्शी काँच की त्रिभुजाकार आकृति।
- प्रिज्म में से गुजरती प्रकाश किरणें अपने मार्ग से मुड़ती हैं और प्रायः आधार की ओर झुकती हैं।
- वर्ण विक्षेपण – जब श्वेत प्रकाश प्रिज्म से गुजरता है तो वह सात रंगों में विभक्त हो जाता है।
- रंगों का क्रम :बैंगनी, जामुनी, नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल
- (याद रखने हेतु : बै-जा-नी-ह-पी-ना-ला)
- इंद्रधनुष भी इसी कारण बनता है।
- सर्वप्रथम न्यूटन ने वर्ण विक्षेपण को समझाया।
5. लैंस (Lens)
- परिभाषा : दो वक्राकार सतहों या एक वक्राकार व एक समतल सतह से बना पारदर्शी माध्यम।
प्रकार :
1. उत्तल लैंस (Convex Lens / अभिसारी)
- बीच में मोटा, किनारों पर पतला।
- प्रकाश किरणों को एक बिंदु पर लाता है।
2.अवतल लैंस (Concave Lens / अपसारी)
- बीच में पतला, किनारों पर मोटा।
- प्रकाश किरणों को फैला देता है।
6. लैंस से संबंधित मुख्य शब्द
- वक्रता केन्द्र (C₁, C₂) – गोले का केन्द्र जिससे लैंस काटकर बनाया गया।
- मुख्य अक्ष – दोनों वक्रता केन्द्रों को मिलाने वाली रेखा।
- प्रकाशिक केन्द्र (O) – वह बिन्दु, जिससे होकर किरण बिना विचलित हुए गुजरती है।
- मुख्य फोकस (F₁, F₂) – बिन्दु जहाँ पर किरणें मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत होती हैं।
- फोकस दूरी (f) – प्रकाशिक केन्द्र और फोकस के बीच की दूरी।
7. उत्तल लैंस द्वारा प्रतिबिम्ब
- वस्तु की स्थिति पर निर्भर करता है :
- वस्तु अनंत पर → फोकस पर छोटा, उल्टा व वास्तविक।
- वस्तु 2f पर → 2f पर बराबर आकार, उल्टा व वास्तविक।
- वस्तु f और O (केन्द्र) के बीच → बड़ा, सीधा व आभासी।
- अवतल लैंस – हमेशा छोटा, सीधा व आभासी प्रतिबिम्ब बनाता है।
8. लैंस के अनुप्रयोग
आवर्धक लैंस (Magnifying Glass) – कम फोकस दूरी का उत्तल लैंस।
सूक्ष्मदर्शी (Microscope) –
- सरल सूक्ष्मदर्शी = आवर्धक लैंस
- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी = 2 लैंस (अभिदृश्यक + नेत्रिका)
दूरदर्शी (Telescope) – दूर की वस्तुओं को देखने के लिए।
- पार्थिव (सीधा प्रतिबिम्ब)
- खगोलीय (उल्टा प्रतिबिम्ब)
फोटोग्राफिक कैमरा – उत्तल लैंस द्वारा छोटा, उल्टा, वास्तविक प्रतिबिम्ब फिल्म पर बनता है।
9. मानव नेत्र
मुख्य भाग :
- दृढ़ पटल (Sclera)
- कार्निया (Cornea)
- आइरिस (Iris) व पुतली (Pupil)
- नेत्र लैंस (Eye Lens)
- सिलियरी मांसपेशियाँ
- रेटिना (Retina)
- नेत्रोद व कॉचाभ द्रव
- समंजन क्षमता – पास और दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देखने की क्षमता।
- रेटिना पर बना प्रतिबिम्ब उल्टा होता है, लेकिन मस्तिष्क उसे सीधा अनुभव कराता है।
10. आँखों की देखभाल
- दिन में कम से कम 2 बार ठंडे पानी से धोएँ।
- बहुत तेज या बहुत मंद रोशनी में न पढ़ें।
- लंबे समय तक टीवी/मोबाइल देखने से बचें।
- धूल/कण जाने पर आँख न रगड़ें, पानी से धोएँ।
- चोट लगने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएँ।
- धुंधला दिखे या सिर दर्द हो तो नेत्र परीक्षण कराएँ।
11. भारतीय योगदान
- ऋग्वेद में प्रकाश की गति का उल्लेख मिलता है।
- सायनाचार्य (1315-1387 ई.) ने प्रकाश की गति की गणना लगभग सही की थी।
- डॉ. सी.वी. रमन – प्रकाश के प्रकीर्णन पर शोध, “रमन प्रभाव” की खोज,1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार और 1954 में भारत रत्न।
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