1. कवि परिचय
(क) स.ही. वात्स्यायन ‘अज्ञेय’
- जन्म: 1911
- बहुमुखी व्यक्तित्व-चित्रकला, मूर्तिकला, पुरातत्व, विज्ञान आदि में रुचि।
- प्रयोगवाद के पुरोधा।
- पहली कविता 1927 में कॉलेज पत्रिका में प्रकाशित।
- 1987 में निधन।
- प्रमुख काव्य संग्रह: भग्नदूत, चिन्ता, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, कितनी नावों में कितनी बार
- उपन्यास: शेखर एक जीवनी, नदी के दीप, अपने-अपने अजनबी
- इनकी रचना-सज्जा में-
- छायावादी प्रभाव
- वेदना, निराशा
- प्रयोगशीलता
- नवीन सौन्दर्य-बोध
- बौद्धिकता
- मानवतावादी दृष्टिकोण
- नये छंद व नये शिल्प की विशेषताएँ शामिल हैं।
(ख) भवानी प्रसाद मिश्र
- जन्म: 1913, टिगरिया (होशंगाबाद)
- प्रारंभ से कविता-रचना; पिता व भाई प्रेरणास्रोत
- गांधीजी के संपर्क में आने पर गांधीवादी दर्शन से प्रभावित
- प्रमुख रचनाएँ: गीतफरोश, खुशबू के शिलालेख, व्यक्तिगत, बुनी हुई रस्सी, परिवर्तन के लिए, अनाम तुम आते
- भाषा-सरल, सहज, आम बोलचाल की
- विषय-व्यक्ति, समाज, देश, प्रकृति, मानवता
- कला पक्ष-अनुप्रास, सादगी, स्वाभाविकता
- उन्हें साहित्य अकादमी व शिखर सम्मान प्राप्त।
2. विविधा (अध्याय का मूल भाव)
‘विविधा’ में शामिल कविताएँ अलग-अलग भावों की हैं, परंतु सभी कविताएँ जीवन की व्यापकता, समाज की वास्तविकता और मानव मन की संवेदना को उजागर करती हैं।
- हमारा देश → ग्रामीण भारत का यथार्थ, उनकी पीड़ा और शहरी सभ्यता का विष।
- घर की याद → जेल में रहते हुए कवि की घर-परिवार की मार्मिक स्मृतियाँ।
3. कविता : ‘हमारा देश’ (अज्ञेय)
(क) भाव-सार
- हमारा असली देश उन साधारण ग्रामीण लोगों में बसता है जो झोपड़ों में रहते हैं।
- ग्रामीणों के पास ढोल-मादल और बाँसुरी ही मनोरंजन के साधन हैं।
- उनकी साधना और संस्कृति सरल और पवित्र है।
- परंतु शहरों की लोलुप, विषैली वासना उनका शोषण करती है।
- शहर की सभ्यता गाँव की भोली अल्हड़ बालाओं और ग्रामीण संस्कृति की दुर्दशा पर हँसती है।
- कविता-शहरी बुराइयों पर तीखा व्यंग्य और ग्रामीण संस्कृति के प्रति सहानुभूति है।
(ख) प्रमुख बिंदु
- देश का वास्तविक चेहरा-गाँव
- ग्रामीणों का सरल जीवन
- शहरी सभ्यता की लालची प्रवृत्ति
- मासूम ग्रामीण संस्कृति का शोषण
- सभ्यता का दिखावटी चेहरा
- ग्रामीणों की पीड़ा और दुःख का मर्मस्पर्शी चित्रण
4. कविता : ‘घर की याद’ (भवानी प्रसाद मिश्र)
(क) भाव-सार
यह कविता कवि के जेल-प्रवास के समय लिखी गई है।बरसते पानी को देखकर कवि को घर की याद सताती है।
- कवि अपनी माँ, पिता, भाई-बहनों और पूरे घर को याद करता है।
- माँ पढ़ी-लिखी नहीं है, पर उसका स्नेह कवि तक पहुँचता है।
- पिता का बुढ़ापा भी सक्रिय है-वे दौड़ते, हँसते खिलखिलाते हैं।
- चार भाई-चार बहनें-घर में प्रेम, एकता और अपनापन है।
- कवि दुख छिपाना चाहता है ताकि घर वाले चिंता न करें।
- वह घरवालों को आश्वस्त करने को कहता है कि-“मैं मस्त हूँ, ठीक हूँ, काम करता हूँ, पढ़ता हूँ।”
- लेकिन भीतर से वह गहराई से दुखी है।
(ख) कविता की विशेषताएँ
- अत्यंत मार्मिक, भावनात्मक और सच्ची अभिव्यक्ति
- माँ के प्रति गहरा लगाव
- पिता के प्रति सम्मान
- भाई-बहनों की स्मृति
- जेल की पीड़ा का सजीव चित्रण
- परिवार के प्रति प्रेम, चिंता और आत्मीयता
5. अध्याय का समग्र केन्द्रीय भाव
- वास्तविक भारत गाँवों में बसता है।
- शहरी सभ्यता अक्सर ग्रामीणों का शोषण करती है।
- परिवार से दूर मनुष्य का हृदय अत्यंत पीड़ा अनुभव करता है।
- घर-स्नेह, एकता और प्रेम का केंद्र है।
- कविता व्यक्ति के भीतर की मानवीय संवेदना, प्यार और आत्मीयता को उजागर करती है।
- समाज में शहरी और ग्रामीण जीवन के अंतर की झलक मिलती है।
6. साहित्यिक विशेषताएँ
(1) ‘हमारा देश’
- व्यंग्य (व्यापक रूप से शहरी लालच पर)
- ग्रामीण जीवन का यथार्थ चित्रण
- प्रतीक-साँप (वासना), भूत (सभ्यता)
- भाषा-सरल पर प्रभावी
(2) ‘घर की याद’
- भावुकता, मार्मिकता
- परिवार की याद
- बरसता सावन-विरह का प्रतीक
- सहज, बोलचाल की भाषा
- अनुप्रास का सुंदर प्रयोग
7. अध्याय से मिलने वाली सीख
- ग्रामीण भारत असली भारत है-वही देश की आत्मा है।
- शहरी लालच और दिखावा ग्रामीण संस्कृति को नुकसान पहुँचाता है।
- परिवार का प्यार जीवन में सबसे महत्वपूर्ण है।
- विपरीत स्थिति में भी मनुष्य को धैर्य और संवेदनशीलता बनाए रखनी चाहिए।
- जीवन में अपनत्व, स्नेह और प्रेम सबसे बड़ी शक्ति हैं।

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