1. कवि परिचय
(क) नरोत्तमदास – परिचय
- जन्म: सन् 1493, सीतापुर (उ.प्र.) के बाड़ी ग्राम में ब्राह्मण परिवार में।
- रचनाएँ: सुदामा चरित, ध्रुव चरित तथा विचारमाला (उपलब्ध केवल सुदामा चरित)।
- नरोत्तमदास भक्तिकाल के प्रसिद्ध कवि थे।
- उनकी भाषा सरल, सजीव ब्रजभाषा है।
- उन्होंने कृष्ण-सुदामा की मैत्री, गरीबी, दीनता, आत्मसम्मान जैसे भावों का अत्यंत मार्मिक वर्णन किया है।
(ख) तुलसीदास – परिचय
- जन्म: 1532, राजापुर (बाँदा, उत्तर प्रदेश)।
- माता-पिता से बचपन में ही विछोह हो गया।
- गुरु नरहरिदास से रामभक्ति की दीक्षा मिली।
- विवाह रत्नावली से हुआ (किंवदंती)।
- रचनाएँ:
- रामचरित मानस (मुख्य),
- विनय पत्रिका, कवितावली, दोहावली, गीतावली, जानकी मंगल आदि।
- भाषा: ब्रज और अवधी पर अद्भुत अधिकार।
- वे भक्तिकाल की सगुण राममार्गी शाखा के प्रमुख कवि हैं।
- सामाजिक समरसता, करुणा, लोकमंगल उनके साहित्य की मुख्य विशेषताएँ हैं।
2. सामाजिक समरसता (अध्याय की मुख्य पृष्ठभूमि)
- समरसता = पारस्परिक प्रेम + करुणा + स्नेह।
- इसमें वर्ण-वर्ग का भेद नहीं होता।
- कविता मानवता के श्रेष्ठ मूल्यों को स्थापित करके समाज को जोड़ती है।
- श्रीकृष्ण-सुदामा और राम-शबरी प्रसंग समरसता के श्रेष्ठ उदाहरण हैं।
- तुलसीदास ने राम के माध्यम से समाज की असमानताओं को दूर करने का संदेश दिया।
3. सुदामा चरित – सारांश (नरोत्तमदास)
(1) सुदामा का जीवन
- सुदामा निर्धन ब्राह्मण थे।
- भीख माँगकर जीवनयापन करते थे।
- हमेशा हरि-नाम जपते रहते थे।
- पत्नी पतिव्रता, सुशील और पति-सेवा में प्रीति रखने वाली थी।
(2) दंपत्ति का संवाद
- पत्नी ने सुदामा को कृष्ण से मिलने का सुझाव दिया।
- उसने कहा कि कृष्ण तुम्हारे मित्र हैं, तुम्हारी स्थिति देखकर अवश्य सहायता करेंगे।
- वह गरीब थी, फिर भी घर से कोदा-चावल बाँधकर देने की व्यवस्था की।
(3) द्वारिका की यात्रा
- सुदामा फटे-पुराने कपड़ों में द्वारिका पहुँचे।
- शहर का वैभव देखकर चकित रह गए।
- द्वारपाल ने उनका नाम सुनते ही सम्मानपूर्वक अंदर भेजा।
(4) कृष्ण का सुदामा से मिलन
- कृष्ण सिंहासन छोड़कर दौड़ते हुए सुदामा के पास आए।
- उनके चरण धोए और अत्यंत आदर दिया।
- पोटली में रखे चावल लेने में हँसी-मज़ाक किया।
- सुदामा की दीन दशा देखकर कृष्ण रो पड़े।
(5) सुदामा का घर लौटना
- सुदामा बिना कुछ माँगे लौट आए।
- घर पहुँचे तो उनकी झोपड़ी सोने के महल में बदल चुकी थी।
- पत्नी देवी-सी सजी थी।
- यह सब कृष्ण की कृपा से हुआ।
4. शबरी प्रसंग – सारांश (तुलसीदास)
(1) राम का शबरी के आश्रम आगमन
- शबरी निम्न-वर्ग की वृद्ध भीलनी थी, पर अत्यंत भक्त।
- राम-लक्ष्मण उसके आश्रम पहुँचे।
- शबरी ने प्रेमपूर्वक उनके चरण धोए और आसन पर बैठाया।
(2) सच्चा प्रेम
- शबरी ने प्रेम से लाए हुए कंद-मूल-फल राम को अर्पित किए।
- राम ने प्रेमपूर्वक उन्हें स्वीकार किया।
- शबरी आनंद से भर उठी, उसके मुख से शब्द नहीं निकल पाए।
(3) नवधा भक्ति (नौ प्रकार की भक्ति)
राम ने शबरी को नवधा भक्ति समझाई-
- संतों का संग
- कथा-श्रवण
- गुरु-सेवा
- गुणगान
- मंत्र-जाप और विश्वास
- संयम, विनय, धर्म
- जगत में प्रभु का दर्शन
- संतोष और परदोष न देखना
- सरलता और बिना छल
(4) सामाजिक समरसता
- राम जाति, धर्म, कुल, बड़ाई, धन, बल को नहीं मानते।
- वे केवल प्रेम और भक्ति को महत्व देते हैं।
- शबरी प्रसंग समाज में समानता का अद्भुत उदाहरण है।
5. महत्त्वपूर्ण साहित्यिक तथ्य
(क) प्रबंध काव्य
दो प्रकार-
- महाकाव्य – विस्तृत काव्य, अनेक प्रसंग
- उदाहरण: रामचरित मानस
- खण्डकाव्य – एक घटना पर आधारित
- उदाहरण: सुदामा चरित
(ख) छंद
अध्याय में प्रयुक्त-
- चौपाई – 16-16 मात्राएँ, 4 चरण
- दोहा – 13/11 मात्रा छंदसभी उदाहरण PDF से ही लिए गए हैं।

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