1. अध्याय का केन्द्रीय विचार
- अध्याय का मुख्य भाव यह है कि व्यक्ति का आचरण ही समाज की अच्छाई या बुराई तय करता है।
- जब व्यक्ति का व्यवहार पवित्र और सुमति (अच्छी बुद्धि) वाला होता है, तब समाज में शांति, समृद्धि और कल्याण स्थापित होता है।
- जब व्यक्ति में कुबुद्धि, क्रोध, लोभ, अहंकार बढ़ता है, तब विपत्तियाँ जन्म लेती हैं।
- तुलसीदास और गिरिजाकुमार माथुर – दोनों कवि मानव को सत्य, साहस, नीति और विश्वास पर चलने की प्रेरणा देते हैं।
2. विभीषण-रावण संवाद (रामचरितमानस से)
(क) प्रसंग
- रावण ने सीता का हरण कर लिया था।
- विभीषण बार-बार उसे सही मार्ग और नीति समझाते हैं।
- यह संवाद रावण और विभीषण के बीच नीति और धर्म का महत्वपूर्ण प्रसंग है।
(ख) विभीषण की नीति-सम्मत बातें
- संपत्ति, सुख, अच्छी गति-सुमति से प्राप्त होती हैं।
- परायी स्त्री को बुरी दृष्टि से देखने वाला व्यक्ति नष्ट हो जाता है।
- राम अवतारी पुरुष हैं; उनसे बैर करना मूर्खता है।
- क्रोध, लोभ, काम, मद – ये नरक के रास्ते हैं।
- राम करुणा के सागर हैं, सबके हितैषी हैं।
- सीता को लौटाकर, राम को भजने से कल्याण होगा।
(ग) रावण की प्रतिक्रिया
- रावण विभीषण की बात नहीं मानता।
- वह क्रोधित होकर उसे अपमानित करता है।
- विभीषण दुखी होकर राम की शरण में चला जाता है।
(घ) सीख
- अच्छी सलाह अपनाने वाला कल्याण पाता है।
- जहाँ सुमति रहती है, वहाँ समृद्धि होती है।
- जहाँ कुबुद्धि होती है, वहाँ विनाश निश्चित है।
3. सूरज का पहिया (गिरिजाकुमार माथुर)
(क) कविता का भाव
- यह कविता जीवन में विश्वास, संघर्ष और सकारात्मकता बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
- मनुष्य को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए, चाहे कठिनाइयाँ कितनी भी हों।
- कवि कहते हैं कि-“मन के विश्वास का सोनचक्र नहीं रुकना चाहिए।”
(ख) मुख्य बिंदु
- विश्वास की शक्ति मनुष्य को आगे बढ़ाती है।
- संघर्ष जीवन का हिस्सा है, पर इसमें हार नहीं माननी चाहिए।
- भविष्य की उजली राहें अतीत की नींव पर ही खड़ी होती हैं।
- मन में दृढ़ निश्चय और आत्मविश्वास रहने से व्यक्ति कभी नहीं टूटता।
- अनीति के सामने झुकना मानव का अपमान है – मनुष्य को न्याय का साथ देना चाहिए।
(ग) कविता की कल्पना-चित्र
- सूरज की तश्तरी
- आँखों की धूप
- विश्वास का सोनचक्र
- भविष्य की रंगोलीइनसे कविता में सौंदर्य और आशावाद का भाव उभरता है।
4. दोनों काव्यों का सामंजस्य – “कल्याण की राह”
- दोनों रचनाएँ यह संदेश देती हैं कि:
- सही विचार और सुमति व्यक्ति और समाज को उन्नत बनाती है।
- धर्म, नीति और सत्य पर चलना हमेशा कल्याणकारी होता है।
- विश्वास और संघर्ष जीवन में सफलता लाते हैं।
- अनीति व बुराई का साथ न देना ही सच्चा साहस है।
5. लेखक परिचय (PDF से)
(क) तुलसीदास
- जन्म: 1532, राजापुर (बाँदा)।
- प्रमुख ग्रंथ: रामचरितमानस, कवितावली, दोहावली, विनयपत्रिका आदि।
- वे भक्ति काल के प्रमुख रामभक्त कवि हैं।
- समाज में समरसता, लोकमंगल और मानवता उनके साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
(ख) गिरिजाकुमार माथुर
- जन्म: 1919, गुना (मध्यप्रदेश)।
- शिक्षा: विक्टोरिया कॉलेज (ग्वालियर), लखनऊ विश्वविद्यालय।
- प्रमुख रचनाएँ: धूप के धान, नाश और निर्माण, शिलापंख चमकीले आदि।
- आधुनिक हिंदी कविता के महत्वपूर्ण कवि।
- प्राकृतिक सौंदर्य, रोमांस, मधुर लय उनकी कविता की विशेषताएँ हैं।

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