1. कवि परिचय
(क) रामेश्वर शुक्ल ‘अंचल’
- जन्म: 1915
- वे प्रेम, प्रसन्नता, उत्साह और उल्लास के कवि हैं।
- अनेक महाविद्यालयों में प्राध्यापक व प्राचार्य रहे।
- अंतिम समय में जबलपुर में निवास किया।
- रचनाएँ: मधुलिका, अपराजिता, किरण बेला, करील, लाल-चूनर, वर्णान्त के बादल।
- इनके काव्य में प्रेम, वेदना, स्वच्छंदता और राष्ट्रीय भावों का सुंदर मेल मिलता है।
- कठिन परिस्थितियों में जीने की प्रेरणा देने वाले कवि।
(ख) जगदीश गुप्त
- जन्म: 1924, शाहाबाद (हरदोई, उ.प्र.)
- नई कविता के प्रमुख कवि।
- एम.ए., पीएच.डी. के बाद अध्यापन व शोध कार्य किया।
- रचनाएँ: नाव के पाँव, शब्द दंश, हिम बद्ध, शम्बूक।
- नई कविता स्वरूप और समस्याएँ नामक ग्रंथ भी लिखा।
- कविता की भाषा सरल, प्रतीकात्मक, भावानुरूप।
- मुक्तछंद में रचना; प्रकृति, मानवीय सौंदर्य, करुणा, समता पर सुंदर अभिव्यक्ति।
2. अध्याय का मूल भाव (जीवन-दर्शन)
- जीवन भावनाओं और विचारों से निर्मित होता है।
- दया, करुणा, क्षमा-मानवता को बढ़ाते हैं।
- साहस, शक्ति, शील-चेतना का विकास करते हैं।
- जीवन में संकट और संघर्ष आते हैं, पर मनुष्य को हार नहीं माननी चाहिए।
- संघर्ष ही व्यक्ति के भीतर आस्था, चेतना और विकास पैदा करता है।
- दोनों कविताएँ मनुष्य को साहस, उत्साह, संघर्ष और सकारात्मकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।
3. ‘काँटे कम से कम मत बोओ’ (अंचल) – सारांश
(क) कविता का भाव
- यदि मनुष्य जीवन में खुशियाँ (फूल) नहीं दे सकता, तो कम-से-कम दुख (काँटे) भी न दे।
- मन कमजोर है, इसलिए कटुता से बचना आवश्यक है।
- ममता और प्रेम से कड़वाहट खत्म हो जाती है।
- संकट में रोना या भयभीत होना उचित नहीं।
- सपनों पर विश्वास रखो – बीता दुख याद न करो।
- संशय और घबराहट व्यक्ति को कमजोर बनाती है।
- यदि बढ़ नहीं सकते, तो दूसरों को दुःख देकर काँटे न बोओ।
(ख) महत्वपूर्ण विचार
- मनुष्य को सकारात्मक सोच रखनी चाहिए।
- मुश्किल समय में हिम्मत बनाए रखना चाहिए।
- जीवन की कठिनाइयों से डरकर बैठना नहीं चाहिए।
- विश्वास और जागरूकता से ही जीवन सुंदर बनता है।
- यदि हम कुछ अच्छा नहीं कर सकते तो बुराई भी न फैलाएँ।
4. ‘सच है महज संघर्ष ही’ (जगदीश गुप्त) – सारांश
(क) कविता का भाव
- जीवन का सबसे बड़ा सत्य संघर्ष है।
- जो व्यक्ति झुक जाता है, वह फूल की तरह झर जाता है।
- जो हार देखकर नहीं रुकता – जीत उसी की होती है।
- परिस्थितियाँ कैसी भी हों, मनुष्य को अपने-आप से संघर्ष करते रहना चाहिए।
- जो जिंदगी केवल बहती चली जाए (बिना लक्ष्य), वह जिंदगी नहीं।
- मनुष्य को अपना सत्य स्वयं ढूँढना चाहिए-दूसरे नहीं बताएँगे।
- हृदय को मजबूत करके ही लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सकता है।
5. अध्याय की संयुक्त सीख
दोनों कविताओं की सम्मिलित शिक्षा-
- जीवन का मार्ग संघर्ष और अनुभवों से बनता है।
- हिम्मत, विश्वास और सकारात्मक विचार जीवन को सफल बनाते हैं।
- बुराई, कटुता और भय से मनुष्य कमजोर होता है।
- मनुष्य को अपनी चेतना जागृत रखकर विपरीत परिस्थितियों से लड़ना चाहिए।
- जीवन में लक्ष्य, प्रयास और आत्मविश्वास सबसे महत्वपूर्ण हैं।
6. महत्वपूर्ण साहित्यिक तथ्य
(क) कविता के प्रमुख विषय
- संघर्ष
- मानवता
- चेतना
- जीवन-दर्शन
- साहस और सकारात्मकता
(ख) प्रतीक
- फूल – अच्छाई, प्रसन्नता
- काँटे – कटुता, बुराई
- संघर्ष – जीवन का सत्य
- पानी-सी बहती जिंदगी – लक्ष्यहीन जीवन

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