1. लेखक परिचय – विनोद रस्तोगी
(स्रोत: आपका DOCX)
- जन्म: 12 मई 1922 ई., ग्राम-शमसाबाद, ज़िला-फर्रुखाबाद (उ.प्र.)
- शिक्षा: शमसाबाद, फर्रुखाबाद और कन्नौज
- उपाधि: हिन्दी में M.A.
- पद: आकाशवाणी, इलाहाबाद केंद्र में नाट्य निर्देशक
- प्रकाशित रचनाएँ:
- आठ उपन्यास
- दो कविता संग्रह
- कुछ प्रसिद्ध नाटक – आजादी के बाद, बर्फ की मीनार, गोपा का दान, फिसलन और पाँव, भगीरथ के बेटे
- विशेषताएँ:
- उनकी रचनाओं की भावभूमि सामाजिक है।
- changing समाज, नैतिक मूल्य, प्रेम समस्या, दहेज, तिलक, रूढ़ियों पर सुंदर एकांकी लिखे।
- पात्र, वातावरण, वस्तु-योजना का संतुलित संयोजन।
- शैली सहज, स्पष्ट और प्रभावशाली।
- आधुनिक हिन्दी एकांकी जगत में महत्वपूर्ण स्थान।
2. एकांकी – बहू की विदा
यह एकांकी दहेज प्रथा की समस्या पर केंद्रित है।
एक व्यापारी जीवनलाल अपनी बहू कमला को रक्षाबंधन पर मायके नहीं भेजता, क्योंकि उसके मायके से दहेज उसकी अपेक्षानुसार नहीं मिला था।
समस्या तब और गहरी हो जाती है जब जीवनलाल की अपनी बेटी की ससुराल भी वही बहाना बनाकर उसकी विदा नहीं करती।इस घटना से जीवनलाल का हृदय परिवर्तित होता है और वह कमला को खुशी-खुशी विदा कर देता है।
3. कथासार – बहू की विदा (पूर्ण लेकिन सरल विस्तार)
प्रमोद, अपनी बहन कमला को रक्षाबंधन के अवसर पर लेने आता है। वह चाहती है कि भाई उसे सखी-सहेलियों के साथ पहला सावन अपने मायके ले जाए।लेकिन जीवनलाल, उसका ससुर, यह कहकर विदा करने से इंकार कर देता है कि उसके मायकेवालों ने “दहेज पूरी तरह नहीं दिया।”
प्रमोद विनती करता है, पर जीवनलाल ₹5000 की माँग करता है और कमला पर ताने मारता है।
कमला का भाई घर बेचकर पैसे लाने का निश्चय करता है, पर कमला उसे रोक देती है।
जीवनलाल की पत्नी राजेश्वरी सहृदय हैं। वह बहू के दर्द को समझती हैं। वे स्वयं पैसे देने को तैयार होती हैं।
इसी बीच पता चलता है कि उनकी अपनी बेटी (गौरी) की ससुराल भी दहेज की कमी बताकर उसे विदा नहीं कर रही है।यह सुनकर जीवनलाल को असली दर्द का एहसास होता है-➡ जिस दर्द को वह दूसरों को दे रहा था, वही अब उसकी बेटी को मिल रहा था।
इस घटना से उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है।
अंत में वह प्रसन्न होकर अपनी बहू कमला की विदाई करता है।
4. मुख्य पात्र-परिचय
1. जीवनलाल (50 वर्ष)
- धनी व्यापारी
- दहेज लोभी
- स्वभाव से जिद्दी और अहंकारी
- बेटी और बहू में भेद करने वाला
- परंतु अंत में परिस्थिति से प्रभावित होकर हृदय परिवर्तन कर लेता है
2. राजेश्वरी (46 वर्ष)
- जीवनलाल की पत्नी
- बहू के प्रति अत्यंत प्रेमपूर्ण और सहृदय
- दहेज प्रथा को गलत मानने वाली
- बहू की विदा करवाने हेतु धन देने को तैयार
- समझदार और स्नेही स्वभाव
3. कमला (19 वर्ष)
- रमेश की पत्नी (बहू)
- सुसंस्कृत, शांत और सहनशील
- अपनी पीड़ा छिपाने वाली
- अपने मायके के लिए घर बेचने न देने वाली
- सरल, कर्तव्यनिष्ठ और संयमी
4. प्रमोद (23 वर्ष)
- कमला का भाई
- बहन का हित चाहने वाला
- सम्मानित, जिम्मेदार और विनम्र
- विदा हेतु प्रयासरत
- आर्थिक मजबूरी के बावजूद बहन के लिए त्याग को तैयार
5. रमेश (22 वर्ष)
- जीवनलाल का पुत्र
- अपनी बहन गौरी को लेने जाता है
- शांत, समझदार, परंतु पिता के सामने कमजोर
6. प्रमुख घटनाएँ (क्रमवार सरल रूप में)
1. प्रमोद बहन कमला को लेने आता है।
2. जीवनलाल दहेज कम मिलने की बात कहकर बहू की विदा से मना कर देता है।
3. जीवनलाल बहू के मायके वालों को ताने देता है-दहेज, बारात की खातिरदारी, आर्थिक स्थिति आदि पर।
4. कमला अपने भाई को घर न बेचने के लिए मना करती है।
5. राजेश्वरी बहू के प्रति सहानुभूति दिखाती हैं और अपने गहने व पैसे देने को तैयार होती हैं।
6. रमेश बिना अपनी बहन गौरी के घर लौटता है क्योंकि उसकी ससुराल भी दहेज की कमी बताकर विदा नहीं करती।
7. जीवनलाल को अपने किए का फल मिलता है – उसकी बेटी भी दहेज के कारण रोकी जाती है।
8. यह घटना उसका हृदय बदल देती है और वह कमला की विदा कर देता है।
7. एकांकी के मुख्य विषय
✔ दहेज प्रथा की बुराइयाँ
✔ समाज में फैली कुरीतियों पर व्यंग्य
✔ बेटी-बहू में भेदभाव
✔ समाज का दोहरा चरित्र
✔ मानवीय संवेदना और परिवर्तन
✔ परिवार के बीच संबंधों का महत्व
8. नैतिक सीख
- दहेज एक भयंकर सामाजिक अभिशाप है।
- जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करते हैं, वही हमें वापस मिलता है।
- बेटी और बहू में अंतर रखना गलत है।
- समय और अनुभव मनुष्य को बदल सकता है।
- मनुष्य को संवेदनशील और न्यायप्रिय होना चाहिए।

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