1. लेखकीय परिचय
- लेखक अमृतलाल बेगड़ मूलतः एक चित्रकार हैं।
- इन्होंने नर्मदा नदी के सौंदर्य को चित्रों और शब्दों दोनों में बड़े सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है।
- नर्मदा परिक्रमा से जुड़े कई यात्रा प्रसंगों को इन्होंने जीवंत रूप में लिखा है।
- यह निबंध नए वर्ष, संकल्प, आशा, स्वास्थ्य और सकारात्मक सोच पर आधारित है।
2. अध्याय का मुख्य उद्देश्य
- जीवन के प्रति आस्था जगाना
- नए वर्ष में नए संकल्प लेकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देना
- स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाना
- जीवन में आने वाले दुःख-सुख को समान रूप से स्वीकार करना
- निराशा से दूर, आशा और साहस से भरे रहना
3. नए वर्ष का आगमन
- लेखक बताते हैं कि जिस नए वर्ष का हम इंतज़ार करते हैं, वह धीरे-धीरे आ ही जाता है।
- पुराना वर्ष जैसे समय के वृक्ष से गिरा हुआ पत्ता है और नया वर्ष उसकी जगह नया पत्ता बनकर आता है।
- नया वर्ष घर में जैसे गृह-प्रवेश करता है-नई उमंग और ऊर्जा के साथ।
4. वर्ष क्या है? (वर्ष की अवधारणा)
- पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा लगभग 365 दिनों में पूरी करती है – यही सौर वर्ष कहलाता है।
- संसार के अधिकतर देशों में सौर पंचांग चलता है।
- समय को नापने के लिए मनुष्य ने उसे वर्ष, महीना, सप्ताह, दिन, घंटों में बाँटा।
5. वर्ष का विकास कैसे हुआ?
- वर्ष का आविष्कार अचानक नहीं हुआ।
- प्राचीन किसान ऋतुओं के बदलाव को देखकर समय का अनुमान लगाते थे।
- मिस्रवासी (Egyptians) नील नदी की बाढ़ से बाढ़ के अंतराल को एक वर्ष मानते थे।
- भारत में विक्रम संवत्, शक संवत्, वीर निर्वाण संवत् आदि चलते हैं।
- सबसे अधिक प्रचलित संवत् है ईस्वी संवत्, जो ईसा मसीह के जन्म के साथ शुरू हुआ।
6. नए वर्ष को शुभ बनाने के दो महत्वपूर्ण संकल्प
(1) शरीर के लिए संकल्प – शारीरिक स्वास्थ्य
- “एक तंदुरुस्ती हजार नियामत”
- नियमित व्यायाम से उम्र की घड़ी 10-25 वर्ष पीछे जा सकती है (जैसा शोध बताते हैं)।
- प्रतिदिन आधा घंटा तेज चलने से बीते यौवन के 10 वर्ष वापस आ सकते हैं।
- स्वास्थ्य को कभी भी कम महत्व नहीं देना चाहिए।
(2) मन के लिए संकल्प – मानसिक शक्ति
- जीवन में सुख-दुःख दोनों आते हैं, जैसे पहाड़ी पर धूप और छाया दोनों रहती हैं।
- दुःख जीवन को नया आयाम देता है, हमें मजबूत बनाता है।
- कठिनाइयों का सामना साहस के साथ करना चाहिए-“मैं तुमसे डरता नहीं, मैं बढ़कर हूँ”
- दुःख बीत जाने पर उसे भुला देना चाहिए।
- चिंता और तनाव रोगों से भी अधिक खतरनाक हैं।
7. स्मृतियों का महत्व
- दुखद घटनाओं को भूलकर सुखद स्मृतियों को याद रखना चाहिए।
- सुखद स्मृतियाँ मन में आशा और ऊर्जा भरती हैं।
- जीवन के तनावों से बाहर निकालने में ये स्मृतियाँ मदद करती हैं।
8. निराशा क्यों छोड़ें?
- निराशा आत्मा के खेत में जंगली घास की तरह है।
- यदि समय पर इसे नहीं हटाया, तो यह अच्छे विचारों को पनपने नहीं देती।
- आशा = साहस
- निराशा = कायरता
- आशावादी व्यक्ति जानता है कि रात के बाद सुबह और जाड़े के बाद वसंत जरूर आता है।
9. संकल्पों का महत्व
- संकल्प निभाने पर कोई पदक नहीं मिलेगा, लेकिन उससे ज्यादा मूल्यवान चीज मिलेगी:
पूरा वर्ष सुख, शांति और आनंद से भरा होगा।
10. यात्रा का संदेश
- पुरानी यात्रा समाप्त होती है और नई यात्रा शुरू होती है।
- चलना और आगे बढ़ना मनुष्य का स्वाभाविक धर्म है।
- दुःख और अवसाद अस्थाई अवरोध हैं, पर वे प्रगति को रोक नहीं सकते।
- रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने गीतों में हमेशा आशा और नवीनता का संदेश दिया है।

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