गरीबी, भारत के समक्ष एक आर्थिक चुनौती
Short Questions Answer
1. गरीबी से क्या आशय है?
जब समाज के अधिकांश व्यक्ति जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ रहते हैं, तो उसे गरीबी कहा जाता है।
2. गरीबी रेखा से क्या अभिप्राय है?
नागरिकों के उस न्यूनतम आर्थिक स्तर से, जो जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक होता है, गरीबी रेखा कहा जाता है।
3. निरपेक्ष गरीबी से क्या तात्पर्य है?
जब व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताओं जैसे भोजन, वस्त्र, आवास और स्वास्थ्य की पूर्ति नहीं कर पाता, उसे निरपेक्ष गरीबी कहते हैं।
4. सापेक्ष गरीबी क्या है?
सापेक्ष गरीबी से अभिप्राय आय की असमानता से है, अर्थात जब समाज के अलग-अलग वर्गों की आय में बहुत अंतर होता है।
5. गरीबी रेखा का विचार सबसे पहले किसने दिया?
भारतीय अर्थशास्त्री श्री दाण्डेकर ने गरीबी रेखा का विचार सर्वप्रथम दिया था।
6. भारत का सबसे गरीब राज्य कौन-सा है?
बिहार राज्य में गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की संख्या सर्वाधिक है।
7. भारत का सबसे गरीब जिला कौन-सा है?
गुजरात का डांग जिला भारत का सबसे गरीब जिला है।
8. भारत में गरीबी मापने के दो मानदंड कौन से हैं?
निरपेक्ष गरीबी और सापेक्ष गरीबी।
9. गरीबी निवारण के लिए शुरू की गई प्रमुख शहरी योजना कौन सी है?
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (1997)।
10. महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम के अंतर्गत कितने दिन का रोजगार दिया जाता है?
प्रति वर्ष कम से कम 100 दिन का रोजगार।
Long Questions Answer
1. भारत में गरीबी मापने के मानदंड समझाइए।
गरीबी मापने के दो मानदंड हैं:
- निरपेक्ष गरीबी: इसमें वे व्यक्ति आते हैं जो अपनी मूलभूत आवश्यकताएँ पूरी नहीं कर सकते।
- सापेक्ष गरीबी: यह आय असमानता को दर्शाती है।
योजना आयोग के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में 2400 कैलोरी और शहरी क्षेत्र में 2100 कैलोरी प्रतिदिन न प्राप्त करने वाला व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है।
2. भारत में गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्या में क्या परिवर्तन आया है?
- 1973–74 में 54.9% लोग गरीबी रेखा के नीचे थे।
- 1983 में 44.7%,
- 1993–94 में 36%,
- 1999–2000 में 26.10%,
- 2006–07 में 19.3% रह गई।
इससे पता चलता है कि भारत में गरीबी लगातार घट रही है।
3. “भारत एक धनी देश है, किन्तु इसके निवासी निर्धन हैं” – इस कथन की व्याख्या कीजिए।
भारत प्राकृतिक संसाधनों, वन सम्पदा, खनिज, जलशक्ति, और जनशक्ति से समृद्ध है।
परंतु इन संसाधनों का उचित उपयोग नहीं हो पाता, तकनीकी पिछड़ापन, अशिक्षा, और दोषपूर्ण नीतियों के कारण भारतवासी निर्धन हैं।
इसलिए भारत भौगोलिक रूप से धनी लेकिन नागरिक निर्धन हैं।
4. भारत में गरीबी के प्रमुख कारण लिखिए।
- दोषपूर्ण विकास रणनीति
- बेरोजगारी
- प्रति व्यक्ति निम्न आय
- तीव्र जनसंख्या वृद्धि
- प्राकृतिक संसाधनों का अपर्याप्त उपयोग
- मूल्य वृद्धि
- तकनीकी ज्ञान का निम्न स्तर
- कृषि में अनिश्चितता
- परिवहन एवं संचार का अभाव
- सामाजिक कारण जैसे अंधविश्वास, भाग्यवादिता आदि।
5. निर्धनता के दुष्चक्र को समझाइए।
- प्रति व्यक्ति आय कम → बचत कम → पूंजी निर्माण कम → उत्पादन कम → रोजगार कम → पुनः आय कम।
इस प्रकार गरीबी का दुष्चक्र चलता रहता है और निर्धनता बढ़ती जाती है।
6. भारत में गरीबी निवारण के प्रमुख कार्यक्रम लिखिए।
- स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (1999)
- स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (1997)
- प्रधानमंत्री रोजगार योजना (1993)
- ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (1995)
- अन्नपूर्णा योजना (2000)
- जनश्री बीमा योजना (2000)
- सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना
- ग्रामीण समृद्धि योजना (1999)
- अन्त्योदय अन्न योजना (2001)
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (2005)।
7. महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (2005) की विशेषताएँ बताइए।
- प्रत्येक ग्रामीण परिवार के एक सदस्य को 100 दिन का रोजगार देने की गारंटी।
- 15 दिन में काम उपलब्ध न होने पर बेरोजगारी भत्ता।
- यह योजना सार्वजनिक निर्माण कार्यक्रमों से जुड़ी है।
- 2 फरवरी 2006 को 200 पिछड़े जिलों में लागू की गई।
8. भारत में राज्यवार गरीबी की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- बिहार (43.18%), उड़ीसा (41.04%) और सिक्किम (33.78%) में गरीबी सबसे अधिक है।
- गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली आदि में गरीबी बहुत कम (लगभग 2%) है।
- कुल मिलाकर गरीबी दर घट रही है, पर राज्यों में असमानता बनी हुई है।
9. जनसंख्या वृद्धि गरीबी को कैसे बढ़ाती है?
भारत में हर वर्ष लगभग 1.81 करोड़ लोग जनसंख्या में जुड़ते हैं।
इससे प्रति व्यक्ति आय घटती है, उपभोग स्तर गिरता है, और रोजगार की कमी बढ़ती है।
परिणामस्वरूप गरीबी में वृद्धि होती है।
10. भारत में गरीबी निवारण के प्रयासों का मूल्यांकन कीजिए।
सरकार द्वारा अनेक योजनाएँ जैसे – प्रधानमंत्री रोजगार योजना, स्वर्ण जयंती योजनाएँ, अन्त्योदय अन्न योजना आदि चलाई गईं।
इनसे कुछ हद तक गरीबी में कमी आई, परंतु समस्या अभी भी बनी हुई है।
रोजगार अवसर, शिक्षा और संसाधनों के उचित उपयोग से ही गरीबी पूरी तरह समाप्त की जा सकती है।

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