गरीबी, भारत के समक्ष एक आर्थिक चुनौती
16.1 गरीबी का अर्थ (Meaning of Poverty)
- गरीबी का अर्थ है – धन, संसाधन और आवश्यक सुविधाओं की कमी।
- जब समाज में बड़ी संख्या में लोग अपनी जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं – जैसे भोजन, वस्त्र, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य – को पूरा करने में असमर्थ होते हैं, तो इस स्थिति को गरीबी कहा जाता है।
- गरीबी को पहचानना सरल है, परंतु परिभाषित करना कठिन है।
- झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग, भीख माँगने वाले व्यक्ति, खेतों में मजदूरी करने वाले गरीब किसान – सभी गरीबी की श्रेणी में आते हैं।
गरीबी रेखा (Poverty Line):यह वह न्यूनतम आर्थिक स्तर है जो व्यक्ति के जीवन निर्वाह के लिए आवश्यक होता है।गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोग गरीब माने जाते हैं।
16.2 भारत में गरीबी की माप (Measurement of Poverty in India)
भारत में गरीबी की माप दो आधारों पर की जाती है :
- निरपेक्ष गरीबी (Absolute Poverty):
- इसका अर्थ है – व्यक्ति अपनी मूलभूत आवश्यकताओं जैसे भोजन, वस्त्र, स्वास्थ्य आदि को पूरा नहीं कर सकता।
- ऐसे व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे आते हैं।
- सापेक्ष गरीबी (Relative Poverty):
- यह आय की असमानता को दर्शाती है।
- इसमें एक व्यक्ति की आय की तुलना दूसरे व्यक्ति या समूह की आय से की जाती है।
- यह बताती है कि कुछ लोग अधिक सम्पन्न हैं जबकि कुछ बहुत गरीब।
गरीबी का आकलन (Measurement):
- भारत में गरीबी का सर्वेक्षण राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा किया जाता है।
16.3 राज्यवार गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्या (State-wise Poverty Data)
भारत में पिछले कुछ दशकों में गरीबी में कमी आई है –
| वर्ष | गरीबी का प्रतिशत |
|---|---|
| 1973-74 | 54.9% |
| 1983 | 44.7% |
| 1993-94 | 36.0% |
| 1999-2000 | 26.1% |
| 2006-07 | 19.3% |
गरीबी रेखा के माप का मानदंड (Planning Commission):
- ग्रामीण क्षेत्र: प्रति व्यक्ति 2400 कैलोरी प्रति दिन
- शहरी क्षेत्र: प्रति व्यक्ति 2100 कैलोरी प्रति दिनजो व्यक्ति इससे कम पोषण प्राप्त करता है, वह गरीबी रेखा के नीचे माना जाता है।
गरीबी रेखा का विचार सबसे पहले भारतीय अर्थशास्त्री श्री दाण्डेकर ने दिया था।
भारत में गरीबी की स्थिति (2006-07 के अनुसार):
- सबसे अधिक गरीबी वाले राज्य: बिहार (43.18%), उड़ीसा (41.04%), सिक्किम (33.78%)
- गरीबी का प्रतिशत सबसे कम: केरल, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली – लगभग 2% से 4%
- भारत का सबसे गरीब जिला: डांग (गुजरात)
- दूसरा सबसे गरीब जिला: बाँसवाड़ा (राजस्थान)
- तीसरा सबसे गरीब जिला: झाबुआ (मध्यप्रदेश)
भारत एक धनी देश है, पर निवासी निर्धन हैं (India is Rich but Indians are Poor)
यह कथन सत्य है – भारत संसाधनों से समृद्ध है, परंतु इनका सही उपयोग नहीं हो पाने के कारण लोग निर्धन हैं।
(A) भारत एक धनी देश है –
- भौगोलिक स्थिति अनुकूल:
- हिमालय से सुरक्षा, विस्तृत मैदान, प्रायद्वीपीय स्थिति और समुद्री मार्गों का लाभ।
- मानसूनी जलवायु:
- विविध फसलें, कृषि आधारित उद्योगों के लिए कच्चा माल।
- जल शक्ति की प्रचुरता:
- नदियाँ पूरे वर्ष जल देती हैं, सिंचाई व बिजली उत्पादन के लिए उपयोगी।
- वन सम्पदा:
- भारत का लगभग 19% क्षेत्र वनों से आच्छादित है, जिनसे लकड़ी, गोंद, लाख आदि प्राप्त होते हैं।
- खनिज व ऊर्जा स्रोत:
- कोयला, लौह अयस्क, अभ्रक, बॉक्साइट, थोरियम, यूरेनियम आदि की पर्याप्त उपलब्धता।
- जनशक्ति:
- भारत की विशाल जनसंख्या यदि योजनाबद्ध ढंग से प्रयुक्त हो तो विकास की गति तेज हो सकती है।
(B) भारतवासी निर्धन क्यों हैं –
- संसाधनों का उचित दोहन नहीं हो पाया।
- शिक्षा, तकनीकी ज्ञान और उत्पादन के स्तर में कमी।
- विकास का लाभ सीमित वर्ग तक सीमित रह गया।
16.4 भारत में निर्धनता के कारण (Causes of Poverty in India)
1. दोषपूर्ण विकास रणनीति
- विकास का लाभ केवल सम्पन्न वर्ग को मिला।
- गरीब और गरीब बन गया, अमीर और अमीर।
- शिक्षा व अवसरों की असमानता ने स्थिति को और खराब किया।
2. बेरोजगारी
- लगभग 5 करोड़ लोग बेरोजगार हैं।
- ग्रामीण क्षेत्रों में अल्प रोजगार और अदृश्य बेरोजगारी व्यापक रूप से मौजूद है।
3. प्रति व्यक्ति आय का निम्न स्तर
- विश्व बैंक (2004) के अनुसार भारत की प्रति व्यक्ति आय मात्र 480 डॉलर थी।
- कम आय से बचत घटती है, पूँजी निर्माण नहीं होता और गरीबी बनी रहती है।
4. निर्धनता का दुष्चक्र (Poverty Cycle)
- कम आय → कम बचत → कम पूँजी → कम उत्पादन → कम रोजगार → फिर से कम आय।
- यह दुष्चक्र गरीबी को स्थायी बना देता है।
5. तेजी से बढ़ती जनसंख्या
- भारत की जनसंख्या प्रतिवर्ष लगभग 1.8 करोड़ बढ़ती है।
- जनसंख्या वृद्धि से प्रति व्यक्ति आय घटती है और गरीबी बढ़ती है।
6. प्राकृतिक संसाधनों का अपर्याप्त उपयोग
- खनिज, वन और जनशक्ति का सही उपयोग नहीं किया जा सका।
7. मुद्रा प्रसार और मूल्य वृद्धि
- विकास कार्यों में अधिक धन खर्च होने से महंगाई बढ़ी और गरीबों की क्रय शक्ति घटी।
8. तकनीकी ज्ञान का अभाव
- 36% जनसंख्या निरक्षर है।
- तकनीकी शिक्षा और अनुसंधान का स्तर निम्न है।
9. कृषि में अनिश्चितता
- भारत कृषि प्रधान देश है परंतु मानसून पर निर्भरता के कारण उत्पादन अस्थिर रहता है।
10. परिवहन एवं संचार साधनों की कमी
- गाँवों में सड़कों और परिवहन की कमी से उद्योगों और व्यापार का विकास नहीं हो पा रहा।
11. सामाजिक कारण
- अंधविश्वास, भाग्यवाद, सामाजिक परंपराएँ और ऋणग्रस्तता गरीबी को बढ़ाती हैं।
16.5 भारत में गरीबी निवारण के प्रमुख कार्यक्रम (Major Poverty Alleviation Programmes)
भारत सरकार ने गरीबी हटाने के लिए कई योजनाएँ शुरू कीं –
| क्रम | योजना | प्रारंभ वर्ष | उद्देश्य |
|---|---|---|---|
| 1 | स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY) | 1999 | ग्रामीण गरीबों को स्वसहायता समूह बनाकर ऋण व अनुदान से आत्मनिर्भर बनाना। |
| 2 | स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना (SJSRY) | 1997 | शहरी गरीबों को रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर देना। |
| 3 | प्रधानमंत्री रोजगार योजना (PMRY) | 1993 | 18-35 वर्ष के शिक्षित बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान करना। |
| 4 | ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम (REGP) | 1995 | ग्रामीण उद्योगों में रोजगार के अवसर बढ़ाना। |
| 5 | अन्नपूर्णा योजना | 2000 | 65 वर्ष से अधिक आयु के गरीबों को प्रति माह 10 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न देना। |
| 6 | जनश्री योजना | 2000 | गरीबों को सामाजिक सुरक्षा – मृत्यु या दुर्घटना पर आर्थिक सहायता। |
| 7 | सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना (SGRY) | – | गरीबों को खाद्यान्न और मजदूरी देकर रोजगार उपलब्ध कराना। |
| 8 | ग्रामीण समृद्धि योजना | 1999 | ग्राम पंचायतों को निधि देकर विकास कार्यों में भागीदारी बढ़ाना। |
| 9 | अंत्योदय अन्न योजना | 2001 | BPL परिवारों को 35 किलोग्राम अनाज बहुत कम दर पर देना (₹2 गेहूँ, ₹3 चावल)। |
| 10 | महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) | 2005 | प्रत्येक ग्रामीण परिवार के एक वयस्क को 100 दिन का रोजगार देना; काम न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता। |

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