भारत में खाद्यान्न सुरक्षा
18.1 खाद्यान्न सुरक्षा से आशय
- रोटी, कपड़ा और मकान – जीवन की तीन मुख्य आवश्यकताएँ हैं।
- इनमें पर्याप्त पौष्टिक भोजन की उपलब्धता सबसे ज़रूरी है।
- खाद्यान्न सुरक्षा का अर्थ है – सभी लोगों को हर समय पर्याप्त, पौष्टिक और सस्ता भोजन मिलना चाहिए।
- व्यक्ति के पास भोजन खरीदने के लिए क्रय शक्ति (पैसा) भी होना आवश्यक है।
खाद्यान्न सुरक्षा की मुख्य बातें:
- सभी लोगों को भोजन की उपलब्धता।
- सबके पास उसे खरीदने की क्षमता।
- भोजन उचित मूल्य पर मिलना चाहिए।
- भोजन हर समय उपलब्ध होना चाहिए।
- भोजन की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए।
खाद्यान्न सुरक्षा के स्तर:
- केवल अनाज की उपलब्धता।
- अनाज और दालों की उपलब्धता।
- अनाज, दालें, दूध और दूध उत्पादों की उपलब्धता।
- अनाज, दालें, दूध, सब्ज़ियाँ, फल आदि सभी पौष्टिक वस्तुएँ उपलब्ध हों।
18.2 खाद्यान्न सुरक्षा की आवश्यकता और महत्व
भारत जैसे विकासशील देश में खाद्यान्न सुरक्षा का बहुत महत्व है क्योंकि जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है।
(A) आंतरिक कारण:
- जीवन का आधार: बढ़ती जनसंख्या के कारण सबको भोजन देना आवश्यक है।
- मानसून पर निर्भरता: वर्षा अनिश्चित होने से सूखा और अकाल आते हैं।
- कम उत्पादकता: भारत में प्रति हेक्टेयर उपज कम है।
- प्राकृतिक बाधाएँ: बाढ़, कीड़े, शीत लहर आदि से फसलें नष्ट हो जाती हैं।
- महंगाई: खाद्यान्न के दाम बढ़ने से भूखमरी की स्थिति बनती है।
- देश की प्रगति: खाद्य आत्मनिर्भरता के बिना आर्थिक विकास संभव नहीं।
(B) बाह्य कारण:
- विदेशों पर निर्भरता: कम उत्पादन होने पर हमें खाद्यान्न आयात करना पड़ता है।
- विदेशी मुद्रा की हानि: आयात से विदेशी मुद्रा का नुकसान होता है।
- विदेशी दबाव: खाद्य आपूर्तिकर्ता देश अपनी शर्तें थोपते हैं।
1965-67 में सूखे के समय अमेरिका से गेहूँ लेना पड़ा – इससे भारत को आत्मनिर्भरता की आवश्यकता का एहसास हुआ।
18.3 भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसलें
भारत एक कृषि प्रधान देश है – कृषि भूमि के लगभग 75-80% भाग पर खाद्यान्न उगाए जाते हैं।
फसलों के प्रकार:
- खरीफ फसलें (जुलाई-अक्टूबर): धान, ज्वार, बाजरा, मक्का।
- रबी फसलें (अक्टूबर-अप्रैल): गेहूँ, जौ, चना।
चावल:
- भारत का मुख्य खाद्यान्न।
- कुल भूमि का 25% भाग चावल की खेती में।
- विश्व में दूसरा स्थान (11.4% उत्पादन)।
- प्रमुख राज्य: पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, असम।
- अब भारत आत्मनिर्भर है और निर्यात भी करता है।
गेहूँ:
- चावल के बाद दूसरा स्थान।
- विश्व में तीसरा स्थान (चीन, अमेरिका के बाद)।
- दो प्रकार:
- वलगेयर गेहूँ: सफेद, मुलायम (रोटी के लिए)।
- मैकरानी गेहूँ: लाल, कठोर दाने वाला।
- प्रमुख राज्य: उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार, मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात।
मोटे अनाज:
- ज्वार:
- निर्धनों का भोजन, पशुओं का चारा भी।
- मुख्य राज्य: मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना।
- बाजरा:
- उत्तर भारत की खरीफ फसल।
- विश्व में भारत का प्रथम स्थान।
- प्रमुख राज्य: राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक।
- मक्का:
- चारा और भोजन दोनों के रूप में उपयोग।
- प्रमुख राज्य: उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, राजस्थान।
18.4 खाद्यान्न सुरक्षा हेतु शासन के प्रयास
1. खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाना
- हरित क्रांति के तहत –
- कृषि का यंत्रीकरण
- उन्नत बीज, उर्वरक, सिंचाई, कीटनाशक
- चकबंदी और बिचौलियों का उन्मूलन . परिणाम – भारत खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बना।
2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
- किसानों को उनकी फसल का न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित करने हेतु सरकार MSP घोषित करती है।
- यदि बाजार मूल्य कम हो तो सरकार उसी मूल्य पर अनाज खरीदती है।
- इससे किसान अधिक उत्पादन के लिए प्रेरित होते हैं।
3. बफर स्टॉक
- आपातकालीन स्थिति में अनाज की कमी दूर करने हेतु सरकार भंडार बनाती है।
- इसका संचालन भारतीय खाद्य निगम (FCI) करता है।
- किसानों से घोषित मूल्य पर गेहूँ-चावल खरीदा जाता है।
4. सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS)
- उद्देश्य: गरीब लोगों को सस्ता अनाज देना।
- उचित मूल्य की दुकानों से गेहूँ, चावल, चीनी, तेल आदि राशन कार्ड धारकों को बेचा जाता है।
- राशन कार्ड के प्रकार:
- BPL – गरीबी रेखा के नीचे
- APL – गरीबी रेखा से ऊपर
- अंत्योदय कार्ड – अत्यंत गरीबों के लिए
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के घटक:
- उचित मूल्य की दुकानें
- सहकारी उपभोक्ता भंडार
- नियंत्रित कपड़े की दुकानें
- मिट्टी के तेल के डिपो
1951-52 में वितरण 4.8 मिलियन टन था, 2003-04 में बढ़कर 71.5 मिलियन टन हो गया।
नवीनीकृत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (1992)
- पिछड़े व सूखा-प्रवण क्षेत्रों में सस्ती दर पर अनाज।
- BPL और APL के लिए अलग दरें।
- गरीबों को रोजगार और खाद्य सुरक्षा दोनों।
लक्ष्य आधारित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (1997)
- गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों को प्रति माह 35 किलोग्राम अनाज।
- विश्व की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना।
अंत्योदय अन्न योजना
- अत्यंत गरीब परिवारों को
- गेहूँ ₹2/किलो
- चावल ₹3/किलो
- प्रति माह 25 किलो अनाज।
अन्य योजनाएँ:
- मध्याह्न भोजन योजना
- काम के बदले अनाज योजना
- अन्त्योदय योजना
- समन्वित राज्य विकास कार्यक्रम
18.5 खाद्य सुरक्षा और सहकारिता
- सहकारिता: समानता और सहयोग पर आधारित संगठन, जो लोगों के सामूहिक हित में काम करता है।
- उपभोक्ता सहकारी समितियाँ गरीबों के लिए राशन दुकानें चलाती हैं।
सहकारिता की व्यवस्थाएँ:
- राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता परिसंघ
- 30 राज्य स्तरीय संगठन
- 794 थोक स्टोर
- 24,078 प्राथमिक स्टोर
- 44,418 ग्राम स्तरीय समितियाँ
- 37,000 खुदरा बिक्री केंद्र
सरकार ने “सर्वप्रिय योजना” (2000) शुरू की – रोजमर्रा की वस्तुएँ सहकारी दुकानों के माध्यम से सस्ती दर पर उपलब्ध कराना।

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