नागरिकों के संवैधानिक अधिकार एवं कर्त्तव्य
Short Questions Answer
प्रश्न: मौलिक अधिकार कितने भागों में विभाजित हैं?
उत्तर: भारतीय संविधान में 6 मौलिक अधिकार हैं — समानता, स्वतंत्रता, शोषण के विरुद्ध, धार्मिक स्वतंत्रता, संस्कृति और शिक्षा, तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार।
प्रश्न: विधि के समक्ष समानता का क्या अर्थ है?
उत्तर: इसका अर्थ है कि सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं और किसी के साथ पद या स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता।
प्रश्न: अस्पृश्यता का अन्त किस अनुच्छेद में किया गया है?
उत्तर: संविधान के अनुच्छेद 17 द्वारा अस्पृश्यता का अन्त किया गया है।
प्रश्न: स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत कितनी स्वतंत्रताएँ दी गई हैं?
उत्तर: छह स्वतंत्रताएँ — भाषण व अभिव्यक्ति, शांतिपूर्ण सभा, संघ निर्माण, संचरण, निवास और व्यवसाय की स्वतंत्रता।
प्रश्न: शोषण के विरुद्ध अधिकार किस अनुच्छेद में वर्णित है?
उत्तर: अनुच्छेद 23 और 24 में शोषण के विरुद्ध अधिकार का उल्लेख है।
प्रश्न: संविधान में मौलिक कर्त्तव्यों को कब जोड़ा गया?
उत्तर: सन् 1976 में 42वें संविधान संशोधन द्वारा मौलिक कर्त्तव्य जोड़े गए।
प्रश्न: संपत्ति का अधिकार अब किस प्रकार का अधिकार है?
उत्तर: संपत्ति का अधिकार अब एक कानूनी अधिकार है।
प्रश्न: सूचना का अधिकार अधिनियम कब लागू हुआ?
उत्तर: सूचना का अधिकार अधिनियम सन् 2005 में लागू हुआ।
प्रश्न: नीति निदेशक तत्व संविधान के किस भाग में हैं?
उत्तर: नीति निदेशक तत्व संविधान के भाग 4 में वर्णित हैं।
प्रश्न: नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए कहाँ जा सकते हैं?
उत्तर: नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए न्यायालय जा सकते हैं।
Long Questions Answer
प्रश्न: मौलिक अधिकारों से क्या आशय है और उनका महत्व क्या है?
उत्तर: मौलिक अधिकार वे अधिकार हैं जो व्यक्ति के सर्वांगीण विकास और गरिमा के लिए आवश्यक हैं तथा संविधान में अंकित हैं। ये नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बन्धुत्व प्रदान करते हैं। इनसे नागरिक राज्य की मनमानी से सुरक्षित रहते हैं और लोकतंत्र को सशक्त बनाते हैं।
प्रश्न: स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत नागरिकों को कौन-कौन सी स्वतंत्रताएँ प्राप्त हैं?
उत्तर: अनुच्छेद 19 के अनुसार नागरिकों को छह स्वतंत्रताएँ प्राप्त हैं —
- भाषण व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
- शांतिपूर्ण सभा की स्वतंत्रता
- संघ निर्माण की स्वतंत्रता
- संचरण (आने-जाने) की स्वतंत्रता
- निवास की स्वतंत्रता
- व्यवसाय या रोजगार की स्वतंत्रता।
प्रश्न: संवैधानिक उपचारों के अधिकार के अंतर्गत न्यायालय कौन-कौन से लेख (रिट्) जारी कर सकते हैं?
उत्तर: न्यायालय पाँच प्रकार की रिट् जारी कर सकता है —
- बंदी प्रत्यक्षीकरण
- परमादेश
- प्रतिषेध
- उत्प्रेषण
- अधिकार पृच्छा।
इनका उद्देश्य नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना है।
प्रश्न: मौलिक अधिकार और नीति निदेशक तत्वों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
- मौलिक अधिकारों के पीछे कानूनी शक्ति होती है, जबकि नीति निदेशक तत्वों के पीछे जनमत की शक्ति होती है।
- मौलिक अधिकार निषेधात्मक हैं, जबकि नीति निदेशक तत्व सकरात्मक।
- मौलिक अधिकार नागरिकों के लिए हैं, जबकि नीति निदेशक तत्व सरकार के लिए दिशा-निर्देश हैं।
प्रश्न: मौलिक कर्त्तव्य किसे कहते हैं? संविधान में वर्णित मौलिक कर्त्तव्यों को लिखिए।
उत्तर: नागरिकों द्वारा देश, समाज और संविधान के प्रति निभाए जाने वाले दायित्व मौलिक कर्त्तव्य कहलाते हैं। संविधान में 11 मौलिक कर्त्तव्य हैं —
संविधान का पालन, देश की एकता की रक्षा, राष्ट्रीय सेवा, पर्यावरण संरक्षण, भाईचारा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान, सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा, शिक्षा देना आदि।
प्रश्न: नीति निदेशक तत्वों का उद्देश्य क्या है?
उत्तर: नीति निदेशक तत्वों का उद्देश्य कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है। ये सरकार को निर्देश देते हैं कि वह नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय प्रदान करे, ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाए, पर्यावरण का संरक्षण करे और अंतर्राष्ट्रीय शांति को बढ़ावा दे।
प्रश्न: सूचना के अधिकार का क्या महत्व है?
उत्तर: सूचना का अधिकार नागरिकों को शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही प्रदान करता है। इससे भ्रष्टाचार पर रोक लगती है, शासन जिम्मेदार बनता है, और नागरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करते हैं। यह अधिकार सुशासन की नींव है।
प्रश्न: सूचना का अधिकार किन सिद्धांतों पर आधारित है?
उत्तर: सूचना का अधिकार तीन सिद्धांतों पर आधारित है —
- जवाबदेही का सिद्धांत
- सहभागिता का सिद्धांत
- पारदर्शिता का सिद्धांत।
ये सिद्धांत शासन को जनहित में कार्य करने के लिए बाध्य बनाते हैं।
प्रश्न: शोषण के विरुद्ध अधिकार का क्या महत्व है?
उत्तर: यह अधिकार नागरिकों को बेगार, बंधुआ मजदूरी, मानव तस्करी और बाल श्रम से सुरक्षा देता है। अनुच्छेद 23 व 24 के अंतर्गत कोई भी व्यक्ति किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध कार्य करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
प्रश्न: राज्य सूचना आयोग की संरचना और कार्य क्या हैं?
उत्तर: राज्य सूचना आयोग में एक मुख्य सूचना आयुक्त और अधिकतम 9 सूचना आयुक्त होते हैं। इन्हें राज्यपाल मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिश पर नियुक्त करते हैं। आयोग का कार्य सूचना के अधिकार को लागू कराना, शिकायतों की सुनवाई करना, तथा सूचना न देने वाले अधिकारियों पर दंड की सिफारिश करना है।

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