1. प्रजातंत्र की अवधारणा, अर्थ एवं परिभाषा
- अर्थ:प्रजातंत्र वह शासन व्यवस्था है जिसमें जनता सर्वोच्च सत्ता की स्वामी होती है।यहाँ कोई राजा, वंश या व्यक्ति नहीं बल्कि जनता स्वयं शासन करती है।
- मुख्य विचार:जनता अपनी प्रत्यक्ष या प्रतिनिधि भागीदारी से शासन करती है।वर्तमान में अधिकांश देशों में अप्रत्यक्ष या प्रतिनिधि प्रजातंत्र प्रचलित है।
- शब्द-व्युत्पत्ति:“Democracy” यूनानी भाषा के दो शब्दों – Demos (जनता) और Cratia (शक्ति) से मिलकर बना है – अर्थात “जनता की शक्ति।”
- महत्वपूर्ण परिभाषाएँ:
- अरस्तु: प्रजातंत्र “बहुतों का शासन” है।
- अब्राहम लिंकन: “जनता का, जनता द्वारा और जनता के लिए शासन।”
- डायसी: “वह शासन जिसमें शासक समुदाय राष्ट्र का बड़ा भाग होता है।”
2. प्रजातंत्र के आधारभूत सिद्धांत
- शास्त्रीय सिद्धांत:शासन जनता की सहमति पर आधारित है।जनता चुनाव के माध्यम से सरकार बदल सकती है।
- अभिजनवादी (Elitist) सिद्धांत:हर समाज में कुछ “विशिष्ट वर्ग” होते हैं जो शासन में मुख्य भूमिका निभाते हैं।परंतु प्रवेश के समान अवसर सबको मिलते हैं।
- बहुलवादी सिद्धांत:समाज के विभिन्न समूह शासन में अपनी भागीदारी रखते हैं।सत्ता का विकेन्द्रीकरण इसका मूल विचार है।
- मार्क्सवादी सिद्धांत:सच्चा प्रजातंत्र तब संभव है जब आर्थिक समानता हो।उत्पादन के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व और संपत्ति का समान वितरण होना चाहिए।
3. प्रजातंत्र के प्रकार
- प्रत्यक्ष प्रजातंत्र:
- जनता स्वयं निर्णय लेती है।
- छोटे राज्यों में ही संभव है।
- उदाहरण – स्विट्जरलैंड के कुछ क्षेत्र, भारत में ग्रामसभा।
- अप्रत्यक्ष (प्रतिनिधि) प्रजातंत्र:
- जनता अपने प्रतिनिधियों को चुनकर शासन करती है।
- वर्तमान समय में यही प्रणाली अपनाई जाती है।
4. प्रजातंत्र की विशेषताएँ
- उत्तरदायी शासन व्यवस्था:शासन जनता के प्रति जवाबदेह होता है।जनता अगले चुनाव में सरकार बदल सकती है।
- समानता पर आधारित शासन:सभी नागरिकों को समान राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक अधिकार प्राप्त हैं।
- स्वतंत्रता की पोषक प्रणाली:नागरिकों को अभिव्यक्ति, संगठन, धर्म, व्यवसाय आदि की स्वतंत्रता होती है।
- कानून का शासन:कानून सबके लिए समान होता है।सरकार कानून के अनुसार ही कार्य करती है।
- स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव:चुनाव निष्पक्ष होने चाहिए ताकि जनता स्वतंत्र रूप से प्रतिनिधि चुन सके।
- लिखित संविधान का होना:शासन की प्रक्रिया, अधिकार और कर्तव्य संविधान में स्पष्ट होते हैं।
- स्वतंत्र न्यायपालिका:न्यायपालिका संविधान की रक्षा करती है और नागरिक अधिकार सुनिश्चित करती है।
5. प्रजातंत्र के गुण
- मानवता के उच्च मूल्यों पर आधारित:समानता, न्याय और भ्रातृत्व की भावना को महत्व देता है।
- लोक कल्याण:जनप्रतिनिधि जनता के हित में कार्य करने को बाध्य होते हैं।
- राजनीतिक शिक्षण:नागरिक मतदान और राजनीतिक प्रक्रियाओं से प्रशासनिक ज्ञान प्राप्त करते हैं।
- राष्ट्रप्रेम की भावना:नागरिक शासन में भाग लेकर देश से जुड़ाव महसूस करते हैं।
- हिंसात्मक क्रांति की न्यूनतम संभावना:असंतोष शांतिपूर्ण चुनावों से व्यक्त किया जा सकता है।
6. प्रजातंत्र के दोष
- गुणों की अपेक्षा संख्या को महत्व:मतों की गिनती में योग्य-अयोग्य का भेद नहीं होता।
- अयोग्यों का शासन:कई बार अनुभवहीन लोग सत्ता में आ जाते हैं।
- सार्वजनिक समय व धन का अपव्यय:चुनावी प्रक्रिया में अत्यधिक समय व धन खर्च होता है।
- धनिकों का वर्चस्व:पैसे वाले लोग चुनाव में अधिक प्रभावी हो जाते हैं।
- दलीय गुटबन्दी:दलों में आपसी विरोध और स्वार्थ की राजनीति बढ़ती है।
- युद्ध व संकट के समय निर्बल:निर्णय लेने में विलंब से प्रजातंत्र कमजोर पड़ता है।
7. प्रजातंत्र का महत्व
- प्रजातंत्र जीवन का एक दृष्टिकोण है जो समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व पर आधारित है।
- यह केवल शासन प्रणाली नहीं, बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन का आदर्श है।
(क) राजनीतिक क्षेत्र में:जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन करती है।
(ख) सामाजिक क्षेत्र में:धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं होता।
(ग) आर्थिक क्षेत्र में:सभी को आजीविका और विकास के समान अवसर मिलते हैं।
संविधान की आवश्यकता:लिखित संविधान नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और कानून सर्वोपरि बनाता है।
8. भारत में प्रजातंत्र
- प्राचीन भारत:
- वैदिक काल में सभा और समिति जैसी संस्थाएँ थीं।
- महाजनपद काल में कई गणराज्य (वैशाली, मगध आदि) थे।
- पंचायत व्यवस्था गाँवों में स्वशासन का उदाहरण थी।
- ब्रिटिश काल:
- ब्रिटिश शासन में धीरे-धीरे प्रजातांत्रिक संस्थाएँ विकसित हुईं।
- 1858, 1861, 1909, 1919 और 1935 के अधिनियमों ने इस दिशा में योगदान दिया।
- स्वतंत्र भारत:
- 26 जनवरी 1950 को भारत सार्वभौम प्रजातांत्रिक गणराज्य बना।
- सभी नागरिकों को सार्वभौम वयस्क मताधिकार मिला।
- समयबद्ध व निष्पक्ष चुनाव भारतीय प्रजातंत्र की पहचान हैं।
- वर्तमान चुनौतियाँ:अशिक्षा, जातिवाद, क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, धन व बाहुबल, वोट बैंक की राजनीति।इनसे मुक्ति के लिए शिक्षा, समानता और नैतिक मूल्यों की आवश्यकता है।

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