1. निर्वाचन से आशय और आवश्यकता
- अर्थ:नागरिकों द्वारा अपने प्रतिनिधियों को चुनने की प्रक्रिया को निर्वाचन कहते हैं।यही प्रक्रिया लोकतांत्रिक शासन की नींव है।
- आवश्यकता:
- नागरिकों की शासन में भागीदारी सुनिश्चित होती है।
- जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से शासन चलाती है।
- सरकार जनता की इच्छाओं के अनुरूप बनती है।
- मुख्य बिंदु:
- भारत में संसदीय शासन प्रणाली है।
- सभी नागरिकों को 18 वर्ष की आयु में मतदान का अधिकार है।
- चुनाव गोपनीय मतदान प्रणाली से होते हैं।
- निर्वाचन आयोग चुनावों को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से कराता है।
2. मताधिकार
- अर्थ:जनता द्वारा अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार मताधिकार कहलाता है।यह प्रत्येक नागरिक का महत्वपूर्ण राजनीतिक अधिकार है।
- सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार:
- 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी स्त्री-पुरुष को बिना किसी भेदभाव के मतदान का अधिकार है।
- यह प्रणाली समानता के सिद्धांत पर आधारित है।
- मताधिकार से वंचित व्यक्ति:
- मानसिक रूप से विकलांग या पागल व्यक्ति
- न्यायालय द्वारा दिवालिया घोषित व्यक्ति
- जो भारत के नागरिक नहीं हैं
- मताधिकार के लाभ:
- प्रत्येक मत को समान महत्व मिलता है।
- शासन में सभी की भागीदारी होती है।
- शांतिपूर्ण सत्ता परिवर्तन संभव होता है।
- नागरिकों में आत्मसम्मान की भावना बढ़ती है।
3. मताधिकार के प्रमुख सिद्धांत
| क्रमांक | सिद्धांत | मुख्य विचार |
|---|---|---|
| 1. | जनजातीय सिद्धांत | राज्य के प्रत्येक व्यक्ति को मताधिकार होना चाहिए। |
| 2. | सामन्ती सिद्धांत | केवल संपत्ति वाले लोगों को मताधिकार मिले। |
| 3. | प्राकृतिक सिद्धांत | शासन चलाने का अधिकार जनता का प्राकृतिक अधिकार है। |
| 4. | वैधानिक सिद्धांत | मताधिकार देना या न देना राज्य तय करता है। |
| 5. | नैतिक सिद्धांत | मताधिकार व्यक्ति के नैतिक विकास के लिए आवश्यक है। |
| 6. | सर्वव्यापी वयस्क मताधिकार | प्रत्येक वयस्क नागरिक को समान मतदान अधिकार। |
| 7. | बहुल मताधिकार | कुछ व्यक्तियों को एक से अधिक वोट मिलें। |
| 8. | भारीकृत मताधिकार | शिक्षित या संपन्न व्यक्ति के मत का भार अधिक हो। |
4. राजनीतिक दलीय व्यवस्था
- अर्थ:समान विचारधारा रखने वाले नागरिकों के संगठित समूह जो सत्ता प्राप्ति के लिए प्रयास करते हैं, उन्हें राजनीतिक दल कहते हैं।
- विशेषताएँ:
- स्पष्ट पहचान और विचारधारा
- नीति और कार्यक्रम तय होना
- निर्वाचन आयोग में पंजीकृत होना
- चुनाव चिह्न होना
- मुख्य उद्देश्य – चुनाव में विजय और सत्ता प्राप्त करना
- मुख्य कार्य:
- सरकार और जनता के बीच सेतु का काम करना
- जनमत तैयार करना
- प्रत्याशी चयन करना
- लोकहित में कार्य और राजनीतिक प्रशिक्षण देना
5. दलीय व्यवस्था के प्रकार
- एकदलीय प्रणाली (Single Party System):
- देश में केवल एक ही राजनीतिक दल होता है।
- जैसे – चीन (साम्यवादी दल)।
- द्विदलीय प्रणाली (Two Party System):
- देश में दो मुख्य दल होते हैं।
- जैसे – अमेरिका (डेमोक्रेटिक व रिपब्लिकन दल), ब्रिटेन (कंजरवेटिव व लेबर पार्टी)।
- बहुदलीय प्रणाली (Multi-Party System):
- देश में अनेक राजनीतिक दल होते हैं।
- भारत में यह प्रणाली लागू है।
साझा (गठबंधन) सरकार:जब कोई दल बहुमत न लाए तो कई दल मिलकर सरकार बनाते हैं।
6. भारत में राजनीतिक दल
(क) राष्ट्रीय दल:
- पूरे देश में मान्यता प्राप्त दल।
- उदाहरण:
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- भारतीय जनता पार्टी
- बहुजन समाज पार्टी
- कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया
- कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी)
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी
(ख) राज्य स्तरीय दल:
- केवल कुछ राज्यों में प्रभावी दल।
- जैसे – पंजाब में अकाली दल, आंध्र प्रदेश में तेलगू देशम पार्टी।
(ग) पंजीकृत दल:
- सीमित क्षेत्र में प्रभाव वाले दल।
- जैसे – गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, भारतीय जनशक्ति पार्टी।
7. दलीय व्यवस्था का महत्व और विपक्ष की भूमिका
- महत्व:
- प्रजातंत्र में लोकमत बनाना और व्यक्त करना।
- चुनावों के संचालन में सहायक।
- जनता के हितों की रक्षा करना।
- शासन की नीतियों को दिशा देना।
- लोकतंत्र को सशक्त बनाना।
- विपक्ष की भूमिका:
- सरकार के कार्यों की निगरानी करना।
- गलत नीतियों की आलोचना करना।
- जनहित के सुझाव देना।
- संसद में प्रश्न व प्रस्ताव लाकर सरकार को जवाबदेह बनाना।
8. भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया
निर्वाचन निम्न चरणों में संपन्न होता है –
- मतदाता सूची तैयार करना:18 वर्ष से अधिक नागरिकों के नाम सूची में जोड़े जाते हैं।
- चुनाव की घोषणा:अधिसूचना राष्ट्रपति (लोकसभा) या राज्यपाल (विधानसभा) द्वारा जारी की जाती है।
- नामांकन:प्रत्याशी निर्धारित तिथि में नामांकन पत्र जमा करता है।
- चुनाव चिह्न:प्रत्येक दल का निश्चित चुनाव चिह्न होता है।
- चुनाव प्रचार:दल अपने घोषणा पत्र, रैलियों, पोस्टरों आदि से प्रचार करते हैं।
- मतदान:
- मतदान केंद्रों पर पहचान पत्र दिखाकर मतदान किया जाता है।
- मतदान दो तरीकों से होता है:(i) EVM (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन)(ii) मतपत्र प्रणाली
- मतगणना:
- निर्धारित तिथि को वोटों की गिनती होती है।
- सबसे अधिक मत पाने वाला प्रत्याशी विजयी घोषित होता है।
9. भारतीय चुनाव प्रणाली के दोष
- मतदान में कम भागीदारी।
- चुनावों में धन और बाहुबल का प्रयोग।
- सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग।
- निर्दलीय उम्मीदवारों की अधिकता।
- जाति, धर्म या भाषा के आधार पर मतदाताओं को प्रभावित करना।
- फर्जी मतदान।
- मतदाता सूची में त्रुटियाँ।
10. निर्वाचन आयोग
- स्थापना: संविधान द्वारा गठित स्वतंत्र संस्था।
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- संरचना:
- एक मुख्य चुनाव आयुक्त
- दो या अधिक चुनाव आयुक्त
- नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- कार्यकाल – 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो पहले हो)।
मुख्य कार्य:
- निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन करना।
- मतदाता सूची तैयार कराना।
- चुनाव चिह्न आवंटित करना।
- राजनीतिक दलों का पंजीकरण और मान्यता।
- चुनाव कराना और आचार संहिता लागू करना।
- सांसदों/विधायकों की अयोग्यता पर राय देना।
- चुनाव सुधार और मतदाता प्रशिक्षण कार्य।

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