Notes For All Chapters – सामाजिक विज्ञान Class 7
1. राज्य की विशेषताएँ (कौटिल्य के अनुसार)
- राज्य की सुरक्षा हेतु राजधानी और सीमांत नगरों की दुर्गबंदी आवश्यक।
- भूमि उपजाऊ होनी चाहिए जो जनता और संकट में आए लोगों का निर्वाह कर सके।
- राज्य रमणीय हो, जिसमें –
- कृषियोग्य क्षेत्र
- खनिजयुक्त प्रदेश
- गजवन और गोधन वाले चारागाह
- जल केवल वर्षा पर निर्भर न हो, नदियाँ व जलाशय भी हों।
- सड़कें और जलमार्ग सुव्यवस्थित हों।
- राज्य की अर्थव्यवस्था उत्पादक और विविध वस्तुओं से परिपूर्ण हो।
2. प्रथम एवं द्वितीय नगरीकरण
(क) प्रथम नगरीकरण
- हड़प्पा / सिंधु-सरस्वती सभ्यता (2000 सा.सं.पू. के बाद लुप्त)।
- विशेषताएँ :
- भव्य भवन
- व्यस्त मार्ग और बाजार
- शिल्पकारों के समूह
- लेखन प्रणाली
- स्वच्छता व्यवस्था
- संगठित शासन
(ख) द्वितीय नगरीकरण
- प्रथम सहस्राब्दी सा.सं.पू. में गंगा मैदान और अन्य क्षेत्रों में नया शहरीकरण।
- साक्ष्य –
- पुरातात्विक उत्खनन
- साहित्य (उत्तर वैदिक, बौद्ध, जैन)
- इसे द्वितीय नगरीकरण कहा जाता है।
3. जनपद और महाजनपद
- लोग वंश/कुल में संगठित → एक निश्चित भूभाग = जनपद।
- जनपद का अर्थ = जहाँ लोग बस गए।
- 8वीं-7वीं शताब्दी सा.सं.पू. तक बड़े महाजनपद बने।
- 16 महाजनपद प्रचलित सूची में मिलते हैं।
- शक्तिशाली महाजनपद :
- मगध (राजधानी – राजगृह/पटलिपुत्र)
- कोसल (राजधानी – श्रावस्ती)
- वत्स (राजधानी – कौशांबी)
- अवंति (राजधानी – उज्जयिनी)
4. महाजनपदों की विशेषताएँ
- गंगा का उपजाऊ मैदान → कृषि विकास।
- समीप पहाड़ियों में लौह की उपलब्धता।
- वाणिज्यिक पथों का विकास।
- नगरों के चारों ओर प्राचीर (किला) और परिखा (खाई)।
- प्रवेश द्वार सँकरे बनाए जाते → नियंत्रण के लिए।
- प्राचीन राजधानियाँ आज भी आधुनिक नगरों के रूप में विद्यमान।
5. शासन प्रणाली
(क) राजतंत्रात्मक
- राजा सर्वोच्च शासक।
- मंत्रियों और सभा की सलाह आवश्यक।
- पद सामान्यतः वंशानुगत।
- उत्तरदायित्व :
- कर संग्रह
- शासन और व्यवस्था
- दुर्ग व परिखाएँ बनवाना
- सेना का संचालन और युद्ध
(ख) गणतांत्रिक
- वज्जि और मल्ल महाजनपद।
- सभा/समिति को अधिक शक्ति।
- राजा का चयन सभा द्वारा।
- निर्णय मतदान से होते।
- इन्हें प्रारंभिक गणराज्य कहा जाता है।
6. नवीन प्रयोग और परिवर्तन
(क) लौह धातुकर्म
- लौह निष्कर्षण और आकार देने की तकनीक विकसित।
- लोहे के औज़ार → खेती का विस्तार।
- लोहे के हथियार → युद्धकला में सुधार।
(ख) सिक्कों का प्रयोग
- प्रथम बार सिक्कों का उपयोग।
- प्रारंभिक सिक्के → चाँदी के “आहत सिक्के”।
- बाद में ताँबा, सोना भी।
- प्रत्येक महाजनपद की अपनी मुद्रा।
7. वर्ण-जाति व्यवस्था
(क) जाति
- विशेष पेशे से जुड़ा समुदाय।
- कौशल पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित।
- उप-जातियाँ अपने नियमों और परंपराओं के साथ।
(ख) वर्ण
- वैदिक ग्रंथों पर आधारित चार वर्ण :
- ब्राह्मण – शिक्षा, धर्म, यज्ञ।
- क्षत्रिय – रक्षा और युद्ध।
- वैश्य – व्यापार, कृषि।
- शूद्र – सेवा, शिल्प।
- प्रारंभ में लचीली व्यवस्था → समय के साथ कठोर।
- असमानता और भेदभाव उत्पन्न।
8. भारत के अन्य भागों में विकास
- मुख्य मार्ग :
- उत्तरापथ – उत्तर-पश्चिम से गंगा मैदान।
- दक्षिणापथ – कौशांबी से दक्षिण भारत।
- नगर : शिशुपालगढ़ (ओडिशा) – वर्गाकार संरचना, दुर्ग और चौड़ी सड़कें।
- दक्षिण भारत :
- चोल, चेर, पांड्य राज्यों का उदय।
- व्यापार – रत्न, सोना, मसाले।
- विदेशी व्यापार भी।
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