Notes For All Chapters – सामाजिक विज्ञान Class 7
1. मौर्य साम्राज्य का पतन
- अशोक के उत्तराधिकारी कमजोर थे।
- अंतिम मौर्य शासक की हत्या 185 ई.पू. में पुष्यमित्र शुंग ने की।
- मौर्य साम्राज्य का विघटन → छोटे-छोटे नए राज्यों का उदय।
- उत्तर-पश्चिम का क्षेत्र कमजोर हो गया → विदेशी आक्रमणों का खतरा बढ़ा।
- इस कारण इस काल को “पुनर्गठन का काल” कहा जाता है।
2. शुंग वंश (185 ई.पू. – लगभग 100 ई.पू.)
- संस्थापक: पुष्यमित्र शुंग।
- शासन क्षेत्र: उत्तर और मध्य भारत।
- प्रमुख कार्य:
- अश्वमेध यज्ञ करके शक्ति का प्रदर्शन।
- ग्रीकों से युद्ध और बाद में मैत्री।
- साम्राज्य छोटा था, पर बाहरी आक्रमण से सुरक्षित रखा।
- संस्कृति और धर्म:
- वैदिक परंपराओं का पुनरुद्धार।
- संस्कृत साहित्य का विकास।
- महर्षि पतंजलि → योग सूत्रों का संकलन।
- कला संरक्षण: भरहुत स्तूप का निर्माण और विस्तार।
3. सातवाहन वंश (दूसरी शताब्दी ई.पू. – तीसरी शताब्दी ई.)
- क्षेत्र: दक्कन का बड़ा भाग (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र)।
- राजधानी: अमरावती और प्रतिष्ठान (पैठन)।
- आर्थिक स्थिति:
- कृषि का विकास (कृष्णा-गोदावरी घाटी)।
- व्यापार का उत्कर्ष → रोम तक व्यापार।
- सिक्कों पर जहाज की आकृति → समुद्री व्यापार का प्रमाण।
- व्यापारिक वस्तुएँ:
- निर्यात: मसाले, वस्त्र, चंदन, मोती, हाथीदाँत।
- आयात: काँच, इत्र, मलहम।
- समाज और धर्म:
- राजाओं के नाम माताओं के नाम पर (जैसे गौतमीपुत्र शातकर्णी)।
- बौद्ध, जैन और वैदिक सभी मतों का संरक्षण।
- रानियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका (नानेघाट गुफा शिलालेख)।
- कला और स्थापत्य:
- कार्ले और पीतलखोरा गुफाएँ।
- यक्ष मूर्तियाँ (साधारण शिल्पकार भी मूर्तिकला में दक्ष)।
4. चेदि वंश (कलिंग क्षेत्र)
- प्रमुख राजा: खारवेल।
- धर्म: जैन धर्म के अनुयायी, परंतु सभी मतों का सम्मान।
- कला और स्थापत्य:
- उदयगिरि-खण्डगिरि गुफाएँ (जैन मुनियों के लिए)।
- हाथीगुंफा अभिलेख → उनके सैन्य अभियानों और दान कार्यों का विवरण।
5. दक्षिण भारत के तीन प्रमुख वंश
(क) चोल वंश
- शक्तिशाली शासक: करिकाल चोल।
- उपलब्धियाँ:
- संगम साहित्य में वर्णित।
- चेर और पांड्य को हराया।
- कल्लनई (ग्रैंड एनीकट) बाँध का निर्माण → कावेरी डेल्टा में सिंचाई और कृषि का विकास।
(ख) चेर वंश
- राजधानी: वंजी (करूर)।
- पश्चिम एशिया और रोम से व्यापार।
- व्यापारिक वस्तुएँ: मसाले, मोती, लकड़ी, हाथीदाँत।
- संगम कवियों को संरक्षण दिया।
(ग) पांड्य वंश
- राजधानी: मदुरै।
- ग्रीक लेखक मेगस्थनीज ने “इंडिका” में वर्णन किया।
- मोती उत्पादन और नौसैनिक शक्ति के लिए प्रसिद्ध।
- सभी दर्शनों और आस्थाओं का संरक्षण।
6. विदेशी आक्रमण और नए वंश
(क) इंडो-ग्रीक
- सिक्कों पर ग्रीक और भारतीय देवताओं की आकृतियाँ (कृष्ण, लक्ष्मी)।
- हेलियोडोरस स्तंभ (विदिशा) → वासुदेव की स्तुति।
(ख) शक (इंडो-सीथियन)
- शासन: 2वीं शताब्दी ई.पू. से 5वीं शताब्दी ई. तक।
- उपलब्धि: शक संवत पंचांग → आज भी प्रयोग में।
(ग) कुषाण वंश
- मूल: मध्य एशिया।
- प्रमुख शासक: कनिष्क।
- संस्कृति:
- सिक्कों पर बुद्ध और शिव दोनों की मूर्तियाँ।
- गांधार कला शैली → ग्रीक-रोमन + भारतीय तत्व।
- मथुरा कला शैली → लाल बलुआ पत्थर, भारतीय मूर्तिकला।
- व्यापार: रेशम मार्ग (Silk Route) पर नियंत्रण → पश्चिम और एशिया से संपर्क।
- धर्म और साहित्य: बौद्ध धर्म का संरक्षण, संस्कृत साहित्य का उत्कर्ष।
7. इस काल की मुख्य विशेषताएँ
- मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद अनेक नए राज्यों का उदय।
- आंतरिक सत्ता संघर्ष और विदेशी आक्रमण।
- कला, स्थापत्य और साहित्य का उत्कर्ष।
- संस्कृत एक प्रमुख भाषा बनी।
- रामायण और महाभारत का संकलन हुआ।
- व्यापार का विस्तार हुआ → भारत विश्व व्यापार का केंद्र बना।
- विभिन्न मतों और संस्कृतियों का संगम → भारतीय संस्कृति समृद्ध हुई।
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