Solutions For All Chapters – SST Class 7
1. ‘संविधान सभा में भारत के विभिन्न क्षेत्रों और पृष्ठभूमियों के प्रतिनिधि सम्मिलित थे।’ आपके अनुसार ऐसा होना क्यों महत्वपूर्ण था?
उत्तर: संविधान सभा में भारत के विभिन्न क्षेत्रों और पृष्ठभूमियों के प्रतिनिधियों का शामिल होना इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जहाँ अलग-अलग संस्कृतियाँ, धर्म, भाषाएँ और सामाजिक समूह रहते हैं। विभिन्न पृष्ठभूमियों के प्रतिनिधियों के होने से संविधान में सभी वर्गों और क्षेत्रों की जरूरतों, विचारों और आकांक्षाओं को शामिल किया जा सका। इससे संविधान अधिक समावेशी और निष्पक्ष बना, जो पूरे देश के लिए स्वीकार्य हो। उदाहरण के लिए, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों, विभिन्न धर्मों और सामाजिक समूहों के लोगों के विचारों को ध्यान में रखकर ही संविधान में समानता, न्याय और एकता जैसे मूल्यों को शामिल किया गया।
2. नीचे दिए गए कथनों को ध्यान से पढ़िए और पहचानिए कि इनमें भारतीय संविधान की कौन-कौन सी प्रमुख विशेषताएँ या मूल्य दिखाई देते हैं –
(क) शीना, रजत और हर्ष एक पंक्ति में खड़े हैं। वे आम चुनावों में अपना पहला वोट डालने के लिए उत्साहित हैं।
(ख) राधा, इमोन और हरप्रीत एक ही विद्यालय की एक ही कक्षा में पढ़ते हैं।
(ग) माता-पिता को अपने बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्था करनी चाहिए।
(घ) गाँव के कुएँ का उपयोग सभी जाति, धर्म और लिंग के लोग कर सकते हैं।
उत्तर:
(क) सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (लोकतंत्र): यह कथन दर्शाता है कि सभी वयस्क नागरिकों को वोट देने का अधिकार है, जो भारतीय संविधान की लोकतांत्रिक विशेषता को दर्शाता है।
(ख) समानता और शिक्षा का अधिकार: यह कथन संविधान के समानता के अधिकार (अनुच्छेद 14) और शिक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21-ए) को दर्शाता है, क्योंकि सभी बच्चे बिना किसी भेदभाव के एक ही कक्षा में पढ़ रहे हैं।
(ग) मौलिक कर्तव्य: यह कथन संविधान के मौलिक कर्तव्यों को दर्शाता है, जिसमें माता-पिता का अपने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का कर्तव्य शामिल है।
(घ) समानता और भेदभाव का निषेध: यह कथन संविधान के समानता के सिद्धांत को दर्शाता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को जाति, धर्म या लिंग के आधार पर बिना भेदभाव के संसाधनों का उपयोग करने का अधिकार है।
3. यह कहा जाता है कि ‘भारत में सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं।’ क्या आपको लगता है कि यह एक सच्चाई है? यदि हाँ, तो क्यों? यदि नहीं, तो क्यों नहीं? तर्कों के साथ उत्तर दीजिए।
उत्तर: हाँ, यह कथन संवैधानिक रूप से सही है, क्योंकि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 कहता है कि सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं और किसी के साथ जाति, धर्म, लिंग या अन्य आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। यह सिद्धांत सुनिश्चित करता है कि कानून सभी के लिए एक समान लागू हो, चाहे वह अमीर हो, गरीब हो, पुरुष हो या महिला। उदाहरण के लिए, अगर कोई अपराध करता है, तो उसे उसी कानून के तहत सजा दी जाएगी, जो सभी पर लागू होता है।
हालांकि, व्यवहार में कई बार यह पूरी तरह लागू नहीं हो पाता। कुछ सामाजिक और आर्थिक असमानताओं के कारण, जैसे गरीबी या शिक्षा की कमी, कुछ लोग अपने अधिकारों का पूरी तरह उपयोग नहीं कर पाते। उदाहरण के लिए, कुछ लोग कानूनी मदद लेने में असमर्थ होते हैं। फिर भी, संविधान और न्यायपालिका इन असमानताओं को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं, जैसे मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करके।
4. आपने पढ़ा कि ‘भारत एकमात्र ऐसा देश है जिसने आरंभ से ही अपने नागरिकों को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रदान किया।’ क्या आप बता सकते हैं कि भारत ने ऐसा क्यों किया?
उत्तर: भारत ने आरंभ से ही अपने नागरिकों को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार प्रदान किया क्योंकि संविधान निर्माताओं का मानना था कि लोकतंत्र की सफलता के लिए सभी नागरिकों को समान राजनीतिक अधिकार मिलने चाहिए। भारत एक विविधतापूर्ण देश है, और यह सुनिश्चित करना जरूरी था कि हर वयस्क नागरिक, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक स्थिति का हो, उसे अपनी सरकार चुनने का अधिकार मिले। इससे देश में एकता और समानता को बढ़ावा मिला। साथ ही, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों ने जो बलिदान दिए, वे इस बात के पक्ष में थे कि सभी को अपनी आवाज उठाने का अधिकार मिले। इसीलिए 1950 में संविधान लागू होने के साथ ही 21 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार दिया गया।
5. स्वतंत्रता संग्राम ने भारतीय संविधान के निर्माण को कैसे प्रेरित किया? भारतीय सभ्यता की विरासत ने संविधान की किन प्रमुख विशेषताओं को किस प्रकार प्रेरित किया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता संग्राम का प्रभाव:
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने संविधान के निर्माण को बहुत प्रभावित किया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नेताओं और आम लोगों ने समानता, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे मूल्यों के लिए संघर्ष किया। ये मूल्य संविधान की नींव बने। उदाहरण के लिए:
- स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं जैसे महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू ने सभी के लिए समानता और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया, जो संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) में दिखता है।
- स्वतंत्रता संग्राम ने यह भी सिखाया कि सरकार को लोगों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए, जिसके कारण संविधान में लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया गया।
- संग्राम के अनुभवों ने यह सुनिश्चित किया कि संविधान में मौलिक अधिकार और नीति-निर्देशक तत्व शामिल हों, जो नागरिकों के कल्याण और देश की प्रगति के लिए जरूरी हैं।
भारतीय सभ्यता की विरासत का प्रभाव:
भारतीय सभ्यता की समृद्ध विरासत ने भी संविधान की कई विशेषताओं को प्रेरित किया। उदाहरण के लिए:
- विविधता में एकता: भारतीय संस्कृति में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ (संपूर्ण विश्व एक परिवार है) और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ (सभी सुखी हों) जैसे आदर्शों ने संविधान में बंधुत्व और समानता जैसे मूल्यों को शामिल करने में मदद की।
- प्रकृति और पर्यावरण का सम्मान: भारतीय परंपरा में प्रकृति को पवित्र मानने की प्रथा ने संविधान के मौलिक कर्तव्यों में पर्यावरण संरक्षण (अनुच्छेद 48-ए) को शामिल करने को प्रेरित किया।
- शिक्षा और ज्ञान की खोज: प्राचीन भारत में नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों की परंपरा ने शिक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21-ए) को संविधान में शामिल करने को प्रेरित किया।
- महिलाओं का सम्मान: भारतीय संस्कृति में महिलाओं को सम्मान देने की परंपरा ने संविधान में लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया, जैसा कि बेगम ऐजाज रसूल ने अपनी बहस में उल्लेख किया।
6. क्या आपको लगता है कि हम एक समाज के रूप में संविधान के सभी आदर्शों को प्राप्त कर चुके हैं? यदि नहीं, तो एक नागरिक के रूप में हम में से प्रत्येक क्या कर सकता है जिससे कि हमारा देश इन आदर्शों के और निकट पहुँच सके?
उत्तर:
नहीं, हम एक समाज के रूप में संविधान के सभी आदर्शों को पूरी तरह प्राप्त नहीं कर पाए हैं। संविधान में समानता, न्याय, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे आदर्श हैं, लेकिन व्यवहार में कई चुनौतियाँ हैं। उदाहरण के लिए:
- कुछ क्षेत्रों में अभी भी जाति, धर्म या लिंग के आधार पर भेदभाव होता है।
- गरीबी और शिक्षा की कमी के कारण कई लोग अपने मौलिक अधिकारों का पूरी तरह उपयोग नहीं कर पाते।
- पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समानता जैसे लक्ष्य अभी भी पूरे नहीं हुए हैं।
एक नागरिक के रूप में हम क्या कर सकते हैं:
जागरूकता फैलाएँ: हमें अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में दूसरों को जागरूक करना चाहिए। उदाहरण के लिए, हम बच्चों को शिक्षा के महत्व के बारे में बता सकते हैं।
- पर्यावरण की रक्षा: हमें पेड़ लगाने, कचरा कम करने और जल संरक्षण जैसे कार्य करके पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।
- समानता को बढ़ावा: हमें अपने व्यवहार में सभी लोगों के साथ समानता और सम्मान का व्यवहार करना चाहिए, चाहे वे किसी भी जाति, धर्म या लिंग के हों।
- लोकतंत्र में भागीदारी: हमें वोट देकर और सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करके लोकतंत्र को मजबूत करना चाहिए।
- शिक्षा और सहायता: हम अपने आसपास के जरूरतमंद लोगों को शिक्षा या अन्य संसाधनों में मदद कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Page 209)
प्रश्न 1: संविधान क्या है और इसकी आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर: संविधान एक देश का वह महत्वपूर्ण दस्तावेज है जो देश के मूल सिद्धांतों, कानूनों, और नियमों को निर्धारित करता है। यह सरकार के तीन अंगों (विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका) की संरचना, उनकी भूमिकाएँ, और उत्तरदायित्व बताता है। इसके साथ ही यह नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी स्पष्ट करता है। संविधान देश के दीर्घकालिक लक्ष्यों और आकांक्षाओं को भी दर्शाता है।
संविधान की आवश्यकता क्यों है?
- नियमों का पालन: संविधान देश के लिए एक नियम-पुस्तिका की तरह है, जो यह सुनिश्चित करता है कि सभी लोग और संस्थाएँ नियमों का पालन करें, जैसे कि खेल में नियम-पुस्तिका विवादों को सुलझाती है।
- निष्पक्षता और जवाबदेही: यह सरकार के तीनों अंगों के बीच संतुलन बनाए रखता है ताकि कोई भी अंग अपनी शक्ति का दुरुपयोग न करे।
- नागरिकों के अधिकार: यह नागरिकों को उनके अधिकार, जैसे समानता, स्वतंत्रता, और न्याय, प्रदान करता है।
- देश की एकता: यह देश के लोगों को एकजुट करता है और उनके लिए सामान्य लक्ष्य निर्धारित करता है।
उदाहरण के लिए, जैसे कबड्डी के खेल में नियम-पुस्तिका विवाद सुलझाने में मदद करती है, वैसे ही संविधान देश में व्यवस्था बनाए रखता है।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान का निर्माण किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया, जिसका गठन 1946 में हुआ था। इस प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल थे:
- संविधान सभा का गठन: 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ, जिसमें शुरू में 389 सदस्य थे, जो बाद में भारत के विभाजन के कारण 299 रह गए। इनमें 15 महिलाएँ भी थीं, और ये सदस्य देश के विभिन्न क्षेत्रों, व्यवसायों, और सामाजिक वर्गों का प्रतिनिधित्व करते थे।
- नेतृत्व: संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। प्रारूप समिति की अध्यक्षता डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर ने की, जो स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे।
- प्रक्रिया: संविधान सभा ने लगभग तीन वर्ष (9 दिसंबर 1946 से 26 नवंबर 1949) तक गहन चर्चा और विचार-विमर्श के बाद संविधान का मसौदा तैयार किया।
- अंगीकरण: 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकृत किया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
संविधान निर्माण में भारत की विविधता, स्वतंत्रता संग्राम के अनुभव, और अन्य देशों के संविधानों से प्रेरणा ली गई।
प्रश्न 3: हमारे स्वाधीनता संग्राम और सभ्यता की विरासत ने संविधान को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर:
भारतीय संविधान के निर्माण में स्वतंत्रता संग्राम और भारत की सभ्यता की विरासत का गहरा प्रभाव रहा।
स्वतंत्रता संग्राम का प्रभाव:
- स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई आदर्श और मूल्य उभरे, जैसे समानता, न्याय, स्वतंत्रता, और बंधुत्व। ये मूल्य संविधान में शामिल किए गए।
- स्वतंत्रता संग्राम के कई नेता, जैसे डॉ. राजेंद्र प्रसाद और डॉ. आंबेडकर, संविधान सभा के सदस्य थे। उन्होंने अपने अनुभव और विचार संविधान में समाहित किए।
- स्वतंत्रता संग्राम ने यह सिखाया कि प्रत्येक नागरिक को मतदान का अधिकार मिलना चाहिए, और कार्यपालिका, विधायिका, और न्यायपालिका की शक्तियों को अलग-अलग रखना चाहिए।
सभ्यता की विरासत का प्रभाव:
- भारतीय सभ्यता में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ (विश्व एक परिवार है) और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ (सभी सुखी हों) जैसे आदर्श गहराई से समाहित हैं। ये संविधान में समानता, बंधुत्व, और पर्यावरण संरक्षण जैसे मूल्यों के रूप में दिखाई देते हैं।
- प्राचीन भारत में जनपदों, राजधर्म, और कौटिल्य के सप्तांग सिद्धांत जैसे शासन के विचारों ने संविधान में मौलिक कर्तव्यों और नागरिकों की भूमिका को प्रेरित किया।
- भारतीय संस्कृति में मत वैभिन्य (विभिन्न विचारों को स्वीकार करना) और प्रकृति के प्रति सम्मान जैसे सिद्धांत संविधान में पंथनिरपेक्षता और पर्यावरण संरक्षण के रूप में शामिल किए गए।
इस प्रकार, स्वतंत्रता संग्राम और सभ्यता की विरासत ने संविधान को एक मजबूत और समावेशी दस्तावेज बनाया।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? सत्तर वर्ष से भी पहले लिखा गया संविधान आज भी प्रासंगिक क्यों है?
उत्तर:
भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएँ:
- लिखित और व्यापक: यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है, जिसमें 25 भाग और 12 अनुसूचियाँ हैं।
- संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य: उद्देशिका में ये मूल्य बताए गए हैं, जो भारत को एक स्वतंत्र, समान, और लोकतांत्रिक देश बनाते हैं।
- मौलिक अधिकार: यह नागरिकों को समानता, स्वतंत्रता, शिक्षा, और शोषण के खिलाफ अधिकार प्रदान करता है।
- मौलिक कर्तव्य: यह नागरिकों को देश, पर्यावरण, और संस्कृति की रक्षा जैसे कर्तव्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।
- राज्य के नीति-निर्देशक तत्व: ये सरकार को सामाजिक, आर्थिक, और पर्यावरणीय लक्ष्य प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।
- शक्तियों का पृथक्करण: विधायिका, कार्यपालिका, और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का संतुलन बनाए रखता है।
- संसदीय शासन प्रणाली: यह केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का बँटवारा करता है और त्रि-स्तरीय शासन (केंद्र, राज्य, और स्थानीय) को परिभाषित करता है।
- संशोधन की व्यवस्था: संविधान में समय के साथ परिवर्तन करने की प्रक्रिया दी गई है, जिससे यह लचीला बना रहता है।
सत्तर वर्ष पहले लिखा गया संविधान आज भी प्रासंगिक क्यों है?
- लचीलापन: संविधान में संशोधन की व्यवस्था है, जिसके कारण इसे समय के साथ बदली हुई परिस्थितियों के अनुसार ढाला जा सकता है, जैसे 1976 में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया।
- मूल्यों की प्रासंगिकता: समानता, स्वतंत्रता, और न्याय जैसे मूल्य आज भी महत्वपूर्ण हैं और समाज को एकजुट करते हैं।
- विविधता का सम्मान: यह भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधता को स्वीकार करता है और सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है।
- नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य: यह नागरिकों को उनके अधिकार देता है और कर्तव्यों का पालन करने की अपेक्षा करता है, जो आज भी समाज को व्यवस्थित रखने में मदद करता है।
- वैश्विक प्रेरणा: संविधान ने फ्रांस, अमेरिका, और आयरलैंड जैसे देशों के संविधानों से प्रेरणा ली, जिससे यह आधुनिक और वैश्विक दृष्टिकोण वाला है।
- न्याय और समावेशिता: यह सामाजिक और आर्थिक न्याय को बढ़ावा देता है, जो आज भी गरीबी और असमानता को कम करने के लिए जरूरी है।
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