प्रश्न 1: मौसम के तत्वों का उनको मापने वाले उपकरणों के साथ मिलान कीजिए।
उत्तर:
प्रयुक्त उपकरण | मौसम के तत्व |
---|---|
(1) आर्द्रतामापी (हाइग्रोमीटर) | (घ) आर्द्रता |
(2) पवन वेगमापी (एनीमोमीटर) | (ग) वायु की दिशा और गति |
(3) वायुदाबमापी (बैरोमीटर) | (ख) वायुमंडलीय दबाव |
(4) तापमापी (थर्मामीटर) | (ङ) तापमान |
(5) वर्षामापी (रेन गेज) | (क) वर्षण (प्रेसिपिटेशन) |
प्रश्न 2: ज्योत्सना यह सोच रही है कि जून में मुंबई में अपनी विद्यालय यात्रा के समय कौन-से कपड़े साथ ले जाए। वह मौसम के पूर्वानुमान को देखती है, जो 29 डिग्री सेल्सियस और 84 प्रतिशत आर्द्रता की भविष्यवाणी करता है। आप उसको क्या सलाह देंगे?
उत्तर:
ज्योत्सना को जून में मुंबई की यात्रा के लिए हल्के, सांस लेने योग्य और सूती कपड़े साथ ले जाने चाहिए। चूंकि पूर्वानुमान के अनुसार तापमान 29 डिग्री सेल्सियस है, जो गर्म मौसम को दर्शाता है, और आर्द्रता 84 प्रतिशत है, जो उच्च आर्द्रता को दर्शाता है, इसलिए निम्नलिखित सलाह दी जा सकती है:
- हल्के और सूती कपड़े: सूती टी-शर्ट, शॉर्ट्स, स्कर्ट या ढीले-ढाले पतलून उपयुक्त होंगे, क्योंकि ये पसीने को सोखते हैं और त्वचा को ठंडा रखते हैं।
- रेनकोट या छाता: जून में मुंबई में मानसून शुरू हो जाता है, इसलिए वर्षा से बचने के लिए रेनकोट या छाता साथ रखना चाहिए।
- हल्के रंग के कपड़े: हल्के रंग की पोशाकें गर्मी को कम अवशोषित करती हैं, जिससे गर्म और आर्द्र मौसम में आराम मिलेगा।
- जूते: जलरोधक जूते या सैंडल उपयुक्त होंगे, क्योंकि वर्षा के कारण रास्ते गीले हो सकते हैं।
- अतिरिक्त कपड़े: उच्च आर्द्रता के कारण कपड़े सूखने में समय लग सकता है, इसलिए अतिरिक्त कपड़े साथ रखें।
इस तरह, ज्योत्सना को गर्म और आर्द्र मौसम के साथ-साथ वर्षा के लिए तैयार रहना चाहिए।
प्रश्न 3: कल्पना कीजिए कि आपका एक छोटा समूह वर्षामापी यंत्र स्थापित कर रहा है। यहाँ उसे स्थापित करने के स्थान के कुछ विकल्प दिए गए हैं-
- विद्यालय का सब्जी उद्यान।
- विद्यालय भवन की छत।
- ऊँचे चबूतरे के साथ खुला मैदान।
- विद्यालय परिसर की दीवार।
- विद्यालय प्रयोगशाला का बरामदा।
अपने समूह के साथ चर्चा कीजिए और सर्वाधिक उपयुक्त स्थान का निर्धारण कीजिए। अपने निर्णय के कारणों को लिखिए।
उत्तर:
सर्वाधिक उपयुक्त स्थान: ऊँचे चबूतरे के साथ खुला मैदान।
निर्णय के कारण:
- खुला स्थान: वर्षामापी को सटीक माप के लिए खुले स्थान में रखना चाहिए, ताकि वर्षा का जल बिना किसी रुकावट (जैसे पेड़, इमारतें या दीवारें) के यंत्र में एकत्र हो सके। खुला मैदान इस आवश्यकता को पूरा करता है।
- ऊँचा चबूतरा: ऊँचा चबूतरा वर्षामापी को जमीन से ऊपर रखता है, जिससे मिट्टी, धूल या अन्य कण वर्षामापी में प्रवेश नहीं करते। यह यंत्र को स्थिर और सुरक्षित रखता है।
- हवा से सुरक्षा: खुला मैदान होने के बावजूद, ऊँचा चबूतरा यंत्र को तेज हवाओं से गिरने से बचाता है, बशर्ते इसे मजबूती से स्थापित किया जाए।
अन्य विकल्पों की कमियाँ:
- विद्यालय का सब्जी उद्यान: यहाँ पौधे या मिट्टी वर्षा के जल को प्रभावित कर सकते हैं।
- विद्यालय भवन की छत: छत पर वर्षा का जल इमारत की संरचना से प्रभावित हो सकता है, जैसे पानी का बहाव या छत की ढलान।
- विद्यालय परिसर की दीवार: दीवार के पास वर्षा का जल छींटों या रुकावटों के कारण सटीक रूप से मापा नहीं जा सकता।
- विद्यालय प्रयोगशाला का बरामदा: बरामदा छत के नीचे होता है, जिसके कारण वर्षा का जल वर्षामापी तक नहीं पहुँचेगा।
इसलिए, ऊँचे चबूतरे के साथ खुला मैदान वर्षामापी स्थापित करने के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है।
प्रश्न 4: नीचे भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, जम्मू और कश्मीर से ली गई एक सारणी है। उपलब्ध आँकड़ों को देखते हुए, दिखाए गए दिन को, जम्मू और कश्मीर के विभिन्न भागों में मौसम की स्थिति को दर्ज करने हेतु एक लघु आलेख लिखिए।
उत्तर:
जम्मू और कश्मीर में 01 फरवरी 2024 को मौसम की स्थिति
01 फरवरी 2024 को जम्मू और कश्मीर के विभिन्न भागों में मौसम की स्थिति ठंडी और आर्द्र रही। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की सारणी के अनुसार, विभिन्न केंद्रों पर मौसम का विवरण निम्नलिखित है:
- श्रीनगर: अधिकतम तापमान 6.5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 0.2 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से क्रमशः 2.4 डिग्री और 0.9 डिग्री कम था। सापेक्षिक आर्द्रता 89% रही, जो उच्च आर्द्रता को दर्शाती है। वर्षा की मात्रा बहुत कम (ट्रेस अमाउंट) थी, और हिमपात 2.4 सेमी दर्ज किया गया।
- काजीगुंड: अधिकतम तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान -0.4 डिग्री सेल्सियस रहा। यहाँ 11.8 मिमी वर्षा और 22.0 सेमी हिमपात दर्ज किया गया। आर्द्रता 97% (सुबह) और 90% (शाम) थी, जो बहुत अधिक थी।
- पहलगाम: यहाँ अधिकतम तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान -4.1 डिग्री सेल्सियस था। 6.0 मिमी वर्षा और 23.0 सेमी हिमपात हुआ। आर्द्रता 96% रही, जो ठंड और गीले मौसम को दर्शाती है।
- कुपवाड़ा: अधिकतम तापमान 5.1 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान -0.7 डिग्री सेल्सियस रहा। वर्षा 0.5 मिमी और हिमपात 10.0 सेमी दर्ज किया गया। आर्द्रता 97% (सुबह) और 94% (शाम) थी।
- कूकेरनाग: अधिकतम तापमान 2.6 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान -1.4 डिग्री सेल्सियस रहा। 12.0 मिमी वर्षा और 30.0 सेमी हिमपात दर्ज हुआ। आर्द्रता 96% (सुबह) और 97% (शाम) थी।
- गुलमर्ग: यहाँ सबसे कम अधिकतम तापमान -2.6 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान -7.6 डिग्री सेल्सियस रहा। 8.2 मिमी वर्षा और 35.0 सेमी हिमपात दर्ज हुआ। आर्द्रता सुबह 76% और शाम को 100% थी, जो संतृप्त वायु को दर्शाती है।
- मुजफ्फराबाद: अधिकतम तापमान 8.5 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 5.6 डिग्री सेल्सियस रहा। आर्द्रता 93% थी, लेकिन वर्षा और हिमपात के आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं।
निष्कर्ष:
01 फरवरी 2024 को जम्मू और कश्मीर में ठंडा, आर्द्र और हिमपात वाला मौसम रहा। ताप सीमा (अधिकतम और न्यूनतम तापमान का अंतर) श्रीनगर में 6.3 डिग्री, काजीगुंड में 3.6 डिग्री, पहलगाम में 5.2 डिग्री, कुपवाड़ा में 5.8 डिग्री, कूकेरनाग में 4.0 डिग्री और गुलमर्ग में 5.0 डिग्री सेल्सियस थी। उच्च आर्द्रता और हिमपात के कारण मौसम ठंडा और गीला रहा, जिससे क्षेत्र में ठंडी परिस्थितियाँ बनी रहीं।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Page 27)
प्रश्न 1: हम अपने आस-पास के मौसम का आकलन एवं निरीक्षण किस प्रकार कर सकते हैं?
उत्तर:
हम अपने आस-पास के मौसम का आकलन और निरीक्षण निम्नलिखित तरीकों से कर सकते हैं:
1. प्रकृति के संकेतों का अवलोकन: हम प्रकृति के संकेतों को देखकर मौसम का अनुमान लगा सकते हैं। उदाहरण के लिए, पक्षियों का कम ऊँचाई पर उड़ना, चींटियों का अंडों को ऊँचे स्थान पर ले जाना, मेंढकों की तेज टरटराहट, या चीड़ के शंकुओं का खुलना और बंद होना वर्षा या तूफान के आने का संकेत दे सकता है।
2. मौसम मापने के उपकरणों का उपयोग: मौसम के तत्वों जैसे तापमान, वर्षण, आर्द्रता, वायुमंडलीय दबाव और पवन की गति व दिशा को मापने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण हैं:
- तापमापी (थर्मामीटर): तापमान मापने के लिए।
- वर्षामापी (रेन गेज): वर्षा की मात्रा मापने के लिए।
- आर्द्रतामापी (हाइग्रोमीटर): वायु में जलवाष्प की मात्रा मापने के लिए।
- वायुदाबमापी (बैरोमीटर): वायुमंडलीय दबाव मापने के लिए।
- पवन वेगमापी (एनीमोमीटर) और वात दिक्सूचक (विंड वेन): पवन की गति और दिशा मापने के लिए।
3. मौसम केंद्रों का उपयोग: स्वचालित मौसम केंद्र (ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन) विभिन्न संवेदकों (सेंसरों) की मदद से मौसम के आँकड़े जैसे तापमान, आर्द्रता, पवन की गति और दिशा, वर्षा आदि को स्वचालित रूप से दर्ज करते हैं। ये केंद्र मौसम का सटीक आकलन करने में मदद करते हैं।
4. स्थानीय ज्ञान और कहावतें: अपने क्षेत्र के बुजुर्गों से बात करके और स्थानीय भाषा में प्रचलित मौसम से संबंधित कहावतों का उपयोग करके भी हम मौसम का अनुमान लगा सकते हैं।
इन तरीकों से हम अपने आस-पास के मौसम का सटीक आकलन और निरीक्षण कर सकते हैं।
प्रश्न 2: भारी वर्षा, तूफान, सूखा और ताप लहर (हीट वेव) जैसी घटनाओं के लिए तैयार रहने में मौसम की भविष्यवाणियाँ किस प्रकार हमारी सहायता करती हैं?
उत्तर:
मौसम की भविष्यवाणियाँ भारी वर्षा, तूफान, सूखा और ताप लहर जैसी घटनाओं के लिए तैयार रहने में निम्नलिखित तरीकों से हमारी सहायता करती हैं:
- पूर्व चेतावनी: मौsam की भविष्यवाणियाँ हमें इन घटनाओं के बारे में पहले से चेतावनी देती हैं। उदाहरण के लिए, यदि समुद्र में तूफान या चक्रवात की आशंका हो, तो मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी जाती है। इससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- आपदा प्रबंधन: भारी वर्षा या बाढ़ की भविष्यवाणी होने पर स्थानीय सरकारें और आपदा प्रबंधन टीमें संसाधन जैसे भोजन, पानी, दवाइयाँ और बचाव उपकरण तैयार कर सकती हैं। तटीय क्षेत्रों में चक्रवात की चेतावनी पर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा सकता है।
- कृषि और जल प्रबंधन: सूखे की भविष्यवाणी होने पर किसान कम पानी वाली फसलों का चयन कर सकते हैं या पानी का उचित प्रबंधन कर सकते हैं। भारी वर्षा की स्थिति में फसलों को बचाने के लिए उचित कदम उठाए जा सकते हैं।
- ताप लहर (हीट वेव) से सुरक्षा: ताप लहर की भविष्यवाणी होने पर लोग गर्मी से बचने के लिए हल्के कपड़े पहन सकते हैं, पानी का अधिक सेवन कर सकते हैं और बाहर निकलने से बच सकते हैं। सरकारें भी लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी करती हैं।
- योजना और सुरक्षा: मौसम की भविष्यवाणियाँ विमानन, नौकायन और अन्य गतिविधियों में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, पायलट और नाविक मौसम की जानकारी के आधार पर अपनी यात्रा की योजना बनाते हैं ताकि तूफान या खराब मौसम से बचा जा सके।
- जानमाल की सुरक्षा: सटीक मौसम भविष्यवाणियाँ लोगों को समय रहते सुरक्षित स्थानों पर जाने, अपने घरों को मजबूत करने या आवश्यक सामग्री इकट्ठा करने में मदद करती हैं, जिससे जानमाल का नुकसान कम होता है।
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