Solutions For All Chapters – SST Class 7
1. जलवायु के कारकों का उनके प्रभावों के साथ निम्नलिखित सूची में मिलान कीजिए:
उत्तर:
क्रम | अ | ब |
---|---|---|
1 | अक्षांश | (ख) उत्तर एवं दक्षिण में अलग-अलग जलवायु बनाता है। |
2 | ऊँचाई | (ग) ऊँचे स्थानों को अधिक ठंडा रखता है। |
3 | समुद्र से निकटता | (घ) तापमान को प्रभावित करता है। |
4 | मानसूनी पवन | (क) भारत में गर्मी के दौरान नमीयुक्त पवन को लाता है। |
2. नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दीजिए:
क) मौसम और जलवायु में क्या अंतर है?
उत्तर:
मौसम किसी स्थान पर छोटी अवधि (प्रतिदिन या हर घंटे) में होने वाली वायुमंडलीय स्थिति है, जैसे वर्षा, धूप, या हवा। यह जल्दी-जल्दी बदलता रहता है।
जलवायु किसी क्षेत्र में लंबे समय (कई दशकों) तक के मौसमी प्रतिरूप को दर्शाती है। यह स्थिर होती है और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है।
उदाहरण: एक दिन बारिश होना मौसम है, लेकिन किसी क्षेत्र में हर साल जून-जुलाई में बारिश होना जलवायु का हिस्सा है।
ख) समुद्र के निकट स्थित स्थानों का तापमान समुद्र से दूर स्थित स्थानों की तुलना में कम क्यों होता है?
उत्तर: समुद्र के निकट स्थित स्थान समुद्र के प्रभाव से समशीतोष्ण जलवायु रखते हैं। समुद्र तापमान को नियंत्रित करता है, जिससे गर्मियाँ बहुत गर्म और सर्दियाँ बहुत ठंडी नहीं होतीं। समुद्र से दूर के स्थानों में यह नियंत्रण नहीं होता, इसलिए वहाँ गर्मियों में तापमान बहुत अधिक और सर्दियों में बहुत कम हो जाता है।
उदाहरण: मुंबई (समुद्र के पास) का तापमान स्थिर (32°C गर्मी, 18°C सर्दी) रहता है, जबकि नागपुर (समुद्र से दूर) में तापमान में अधिक अंतर (44°C गर्मी, 10°C सर्दी) होता है।
ग) भारतीय जलवायु को प्रभावित करने में मानसूनी पवन की क्या भूमिका है?
उत्तर: मानसूनी पवनें भारत की जलवायु को बहुत प्रभावित करती हैं। गर्मियों में (जून से सितंबर) दक्षिण-पश्चिम मानसूनी पवनें समुद्र से नमी लाती हैं, जिससे भारत में भारी वर्षा होती है। यह वर्षा कृषि, नदियों और जल संसाधनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सर्दियों में (अक्टूबर से दिसंबर) उत्तर-पूर्व मानसूनी पवनें शुष्क हवाएँ लाती हैं, लेकिन बंगाल की खाड़ी से कुछ नमी लेकर दक्षिण-पूर्व भारत में वर्षा करती हैं। इस तरह मानसून भारत की जलवायु और कृषि को निर्धारित करता है।
घ) चेन्नई पूरे वर्ष गर्म क्यों रहता है, जबकि लेह ठंडा रहता है?
उत्तर:
चेन्नई भूमध्य रेखा के निकट और समुद्र तट पर स्थित है, जिसके कारण यहाँ सूर्य की किरणें लगभग सीधी पड़ती हैं और समुद्र तापमान को स्थिर रखता है। इसलिए चेन्नई पूरे वर्ष गर्म रहता है।
लेह हिमालय पर्वत पर अधिक ऊँचाई पर स्थित है, जहाँ सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं और ऊँचाई के कारण तापमान बहुत कम रहता है। इसलिए लेह ठंडा रहता है।
3. इस पुस्तक के अंत में दिए गए भारत के मानचित्र को देखिए। लेह, चेन्नई, दिल्ली, पणजी, इन शहरों की जलवायु को पहचानिए। क्या यह स्थान समुद्र के समीप हैं, पर्वत पर हैं या रेगिस्तान में हैं? ये कारक वहाँ की जलवायु को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
शहर | स्थान | जलवायु | प्रभाव |
---|---|---|---|
लेह | पर्वत (हिमालय पर, ऊँचाई पर) | अल्पाइन जलवायु | अधिक ऊँचाई के कारण बहुत ठंडी सर्दियाँ और शीतल गर्मियाँ। बर्फबारी आम है। |
चेन्नई | समुद्र तट (बंगाल की खाड़ी) | उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु | समुद्र के पास होने से तापमान स्थिर, पूरे वर्ष गर्म, मानसून में भारी वर्षा। |
दिल्ली | उत्तरी मैदान | उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु | गर्म ग्रीष्म (45°C तक) और ठंडी सर्दियाँ (5°C तक), मध्यम मानसूनी वर्षा। |
पणजी | समुद्र तट (अरब सागर) | उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु | समुद्र के प्रभाव से स्थिर तापमान, गर्म गर्मियाँ, मानसून में भारी वर्षा। |
विवरण:
- लेह: हिमालय की ऊँचाई के कारण ठंडी जलवायु। सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं और वायु का घनत्व कम होने से ठंड बढ़ती है।
- चेन्नई: समुद्र के पास और भूमध्य रेखा के निकट होने से गर्म और आर्द्र जलवायु। समुद्र तापमान को नियंत्रित करता है।
- दिल्ली: मैदानी क्षेत्र में होने से गर्म गर्मियाँ और ठंडी सर्दियाँ। मानसून से मध्यम वर्षा होती है।
- पणजी: समुद्र तट पर होने से स्थिर और आर्द्र जलवायु, मानसून में भारी वर्षा।
4. भारत के मानचित्र पर गर्मी और सर्दी के मानसून चक्र को प्रदर्शित कीजिए।
- गर्मियों और सर्दियों में पवनें कहाँ चलती हैं। इसके प्रतीक लगाइए।
- मानसून के दौरान पवनों की दिशा दिखाइए।
उत्तर:
(क) ग्रीष्मकालीन मानसून (दक्षिण-पश्चिम मानसून):
समय: जून से सितंबर।
पवनों की दिशा: दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर।
विवरण: पवनें अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर भारत के दक्षिणी सिरे (केरल) से प्रवेश करती हैं और पूरे देश में फैलती हैं। पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढलानों पर भारी वर्षा होती है।
(ख) शीतकालीन मानसून (उत्तर-पूर्व मानसून):
समय: अक्टूबर से दिसंबर।
पवनों की दिशा: उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की ओर।
विवरण: शुष्क पवनें भूभाग से समुद्र की ओर चलती हैं। बंगाल की खाड़ी से कुछ नमी लेकर दक्षिण-पूर्व भारत (तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश) में वर्षा करती हैं।
5. भारत में कृषि और मौसम से जुड़े त्योहारों (जैसे- बैसाखी, ओणम) को दिखाते हुए एक रंगीन पोस्टर बनाइए। इन त्योहारों की तस्वीरें या रेखाचित्र लगाइए।
उत्तर:
6. कल्पना कीजिए कि आप भारत में एक किसान हैं। बरसात के मौसम के लिए आप कैसे तैयारी करेंगे? इस बारे में डायरी में संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
डायरी प्रविष्टि
दिनांक:
मैं एक किसान हूँ और बरसात का मौसम जल्द ही शुरू होने वाला है। मानसून मेरे खेतों और फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी तैयारी के लिए मैंने निम्नलिखित कार्य किए हैं:
- खेत की तैयारी: मैंने खेतों की जुताई कर ली है और मिट्टी को समतल किया है ताकि पानी ठीक से फैले।
- बीज का चयन: धान और मक्का जैसे मानसून के लिए उपयुक्त बीज खरीद लिए हैं।
- जल निकासी: बाढ़ से बचने के लिए खेतों में जल निकासी की नालियाँ बनाई हैं।
- खाद और उर्वरक: जैविक खाद और उर्वरक तैयार किए हैं ताकि फसल अच्छी हो।
- सिंचाई की व्यवस्था: यदि मानसून देर से आए, तो मैंने कुएँ और ट्यूबवेल की व्यवस्था की है।
- स्थानीय ज्ञान: गाँव के बुजुर्गों से मानसून के संकेतों के बारे में पूछा, जैसे अमलतास के फूलों का खिलना।
मुझे उम्मीद है कि इस बार मानसून समय पर आएगा और मेरी फसल अच्छी होगी।
7. किसी प्राकृतिक आपदा (जैसे- चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन या दावानल) की पहचान कीजिए और एक छोटा निबंध लिखिए, जिसमें इसके कारण और प्रभाव सम्मिलित हों। ऐसे सुझाव दीजिए जो व्यक्ति, समुदाय और सरकार को इस आपदा के प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं।
निबंध: बाढ़ – कारण, प्रभाव और समाधान
बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है, जो तब होती है जब किसी क्षेत्र में अत्यधिक जल एकत्र हो जाता है। भारत में बाढ़ विशेष रूप से मानसून के दौरान आम है, खासकर असम, बिहार, उत्तर प्रदेश और केरल जैसे राज्यों में।
कारण:
प्राकृतिक कारण: भारी मानसूनी वर्षा, नदियों का अतिप्रवाह, हिमनदीय विस्फोट (जैसे उत्तराखंड में 2013 में हुआ)।
मानवीय कारण: वनों की कटाई, जल निकासी व्यवस्था का खराब होना, नदियों पर अतिक्रमण, और अनियोजित शहरी निर्माण।
प्रभाव:
बाढ़ से फसलें नष्ट हो जाती हैं, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।
घर, सड़कें, और पुल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।
लोगों और पशुओं की जान को खतरा होता है।
जलजनित बीमारियाँ फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
उदाहरण: 2013 की उत्तराखंड बाढ़ में लगभग 6000 लोग मारे गए और केदारनाथ क्षेत्र तबाह हो गया।
समाधान:
व्यक्ति: बाढ़ के समय ऊँचे स्थानों पर जाना, आपातकालीन किट तैयार रखना, और स्थानीय मौसम चेतावनियों का पालन करना।
समुदाय: जल निकासी व्यवस्था को बेहतर करना, वृक्षारोपण करना, और सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना।
सरकार: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की चेतावनियों को समय पर प्रसारित करना, बाढ़-प्रतिरोधी ढाँचे बनाना, नदियों के किनारों को मजबूत करना, और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को तैनात करना।
बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास और जागरूकता जरूरी है। यदि हम प्रकृति का सम्मान करें और सतत विकास को अपनाएँ, तो इस आपदा से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Page 45)
1. भारतीय जलवायु को कौन-कौन से तत्व विविध महत्वपूर्ण बनाते हैं?
उत्तर:
भारतीय जलवायु को विविध और महत्वपूर्ण बनाने वाले प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं:
अक्षांश: भारत का कुछ भाग भूमध्य रेखा के निकट है, जिसके कारण दक्षिणी क्षेत्र जैसे कन्याकुमारी गर्म रहते हैं, जबकि उत्तरी क्षेत्र जैसे श्रीनगर ठंडे होते हैं। सूर्य की किरणों का कोण तापमान को प्रभावित करता है।
ऊँचाई: ऊँचे क्षेत्र जैसे हिमालय और पर्वतीय स्थल (शिमला, ऊटी) ठंडे होते हैं, क्योंकि ऊँचाई बढ़ने पर तापमान कम होता है।
समुद्र से निकटता: तटीय क्षेत्र जैसे मुंबई में तापमान स्थिर रहता है, क्योंकि समुद्र तापमान को नियंत्रित करता है। दूरस्थ क्षेत्रों जैसे नागपुर में तापमान में अधिक अंतर होता है।
पवनें: मानसूनी पवनें वर्षा लाती हैं, जबकि शुष्क पवनें (जैसे थार मरुस्थल से) गर्मी बढ़ाती हैं। हिमालय से ठंडी पवनें शीत लहर लाती हैं।
स्थलाकृति: हिमालय ठंडी पवनों को रोकता है, जबकि पश्चिमी घाट मानसूनी वर्षा को प्रभावित करता है। थार मरुस्थल की समतल भूमि शुष्क जलवायु बनाती है।
2. मानसून क्या है? यह कैसे बनता है?
उत्तर:
मानसून क्या है?
मानसून मौसमी पवनें हैं, जो भारत में मुख्य रूप से वर्षा लाती हैं। यह शब्द अरबी शब्द ‘मौसिम’ से आया है, जिसका अर्थ है ऋतु। भारत में मानसून जून से सितंबर तक भारी वर्षा लाता है, जो कृषि और जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।
यह कैसे बनता है?
- ग्रीष्म ऋतु में, भारत का भूभाग समुद्र की तुलना में तेजी से गर्म होता है, जिससे भूभाग पर निम्न दबाव क्षेत्र बनता है।
- समुद्र पर उच्च दबाव होता है, इसलिए नमीयुक्त पवनें समुद्र से भूभाग की ओर बहती हैं। ये पवनें नमी लाती हैं, जो बादल बनाती हैं और वर्षा होती है।
- इसे दक्षिण-पश्चिम मानसून कहते हैं, क्योंकि पवनें दक्षिण-पश्चिम दिशा से आती हैं।
- शीत ऋतु में, भूभाग ठंडा हो जाता है और उच्च दबाव बनता है, जिससे पवनें भूभाग से समुद्र की ओर बहती हैं। इसे उत्तर-पूर्व मानसून कहते हैं, जो कुछ क्षेत्रों में हल्की वर्षा लाता है।
3. जलवायु का समाज, संस्कृति और आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
जलवायु का समाज, संस्कृति और आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है:
- समाज: जलवायु लोगों के रहन-सहन, खान-पान और वस्त्रों को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, ठंडे क्षेत्रों में लोग गर्म कपड़े पहनते हैं, जबकि गर्म क्षेत्रों में हल्के कपड़े।
- संस्कृति: भारत में कई त्योहार और रीति-रिवाज जलवायु और ऋतुओं से जुड़े हैं, जैसे बैसाखी (फसल कटाई), ओणम (वर्षा और कृषि से संबंधित), और वसंत पंचमी। ये त्योहार सामुदायिक एकता को बढ़ाते हैं।
- आर्थिक स्थिति: जलवायु कृषि को प्रभावित करती है, जो भारत की अर्थव्यवस्था का आधार है। अच्छा मानसून फसल उत्पादन बढ़ाता है, जबकि कम वर्षा (‘मानसून फेलियर’) से फसल खराब होती है, खाद्यान्न महंगे होते हैं, और लोग शहरों की ओर पलायन करते हैं। उद्योग भी जलवायु और जल उपलब्धता पर निर्भर करते हैं।
4. जलवायु की समझ हमें प्राकृतिक आपदा के लिए तैयार रहने में किस प्रकार सहायता करती है?
उत्तर:
जलवायु की समझ प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार रहने में निम्नलिखित तरीकों से मदद करती है:
- पूर्वानुमान: जलवायु के प्रतिरूप को समझने से चक्रवात, बाढ़, या भूस्खलन जैसी आपदाओं का पहले से अनुमान लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग चक्रवातों की जानकारी पहले देता है।
- तैयारी: लोग और सरकारें जलवायु के आधार पर आपदा प्रबंधन की योजना बना सकती हैं, जैसे बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में बांध बनाना या चक्रवात शरणस्थल तैयार करना।
- जागरूकता: जलवायु की जानकारी से समुदायों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरण, जल संग्रहण, और आपदा किट तैयार करने में मदद मिलती है।
- कृषि योजना: किसान मानसून के समय को जानकर फसल बोने और कटाई की योजना बना सकते हैं, जिससे बाढ़ या सूखे का प्रभाव कम हो।
- पर्यावरण संरक्षण: जलवायु की समझ से वनों की कटाई और अनियोजित निर्माण जैसी मानवीय गतिविधियों को कम किया जा सकता है, जो भूस्खलन और बाढ़ को बढ़ाते हैं।
5. जलवायु परिवर्तन क्या है? इसके परिणाम क्या-क्या होते हैं?
उत्तर:
जलवायु परिवर्तन क्या है?
जलवायु परिवर्तन लंबे समय तक तापमान, वर्षा, और मौसम के प्रतिरूप में होने वाले महत्वपूर्ण बदलाव हैं। यह प्राकृतिक कारणों से हो सकता है, लेकिन वर्तमान में यह मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधन (कोयला, पेट्रोल) का जलना, वनों की कटाई, और औद्योगिक उत्सर्जन के कारण हो रहा है। ये गतिविधियाँ हरितगृह गैसों (जैसे कार्बन डाइऑक्साइड) को बढ़ाती हैं, जो पृथ्वी को गर्म करती हैं।
इसके परिणाम:
- तापमान में वृद्धि: गर्मी बढ़ने से गर्म हवाएँ (हीट वेव) और हल्की सर्दियाँ होती हैं। उदाहरण के लिए, 2025 में भारत का तापमान सामान्य से 1-3 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
- मौसम में बदलाव: अनियमित मानसून, अधिक बाढ़, सूखा, और चक्रवात जैसी चरम मौसमी घटनाएँ बढ़ रही हैं।
- कृषि पर प्रभाव: फसल उत्पादन कम हो सकता है, जिससे खाद्यान्न महंगे होते हैं और किसानों की आय प्रभावित होती है।
- पारिस्थितिकी पर प्रभाव: वन्यजीवों और पौधों का आवास नष्ट हो सकता है। हिमनद पिघलने से समुद्र का स्तर बढ़ता है।
- मानव जीवन पर प्रभाव: गर्मी से स्वास्थ्य समस्याएँ, बाढ़ और भूस्खलन से संपत्ति और जान का नुकसान, और पलायन की समस्या बढ़ती है।
- आर्थिक प्रभाव: आपदाओं से आधारभूत ढाँचे को नुकसान, उद्योगों पर असर, और पुनर्निर्माण की लागत बढ़ती है।
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