Solutions For All Chapters – SST Class 7
1. साम्राज्य की विशेषताएँ क्या हैं और यह राज्य से किस प्रकार भिन्न है? इसकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
साम्राज्य एक ऐसा विशाल क्षेत्र होता है जिसमें कई छोटे-छोटे राज्य या क्षेत्र शामिल होते हैं, जिन पर एक शक्तिशाली सम्राट शासन करता है। साम्राज्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- अधीन राज्यों पर नियंत्रण: साम्राज्य में कई छोटे राज्यों पर एक केंद्रीय सम्राट का नियंत्रण होता है।
- प्रशासनिक तंत्र: कर संग्रह, कानून-व्यवस्था और क्षेत्र प्रबंधन के लिए अधिकारियों की नियुक्ति।
- संचार और लोकहितकारी संरचनाएँ: राजमार्ग, नदियाँ, और नौवहन जैसे साधनों का निर्माण।
- कला और संस्कृति को प्रोत्साहन: साहित्य, धर्म, और ज्ञान केंद्रों का विकास।
- संसाधनों का नियंत्रण: खनिज, वन, और कृषि उत्पादों का प्रबंधन।
- मानक प्रणाली: मुद्रा, माप-तोल, और व्यापार का नियमन।
राज्य से भिन्नता:
राज्य एक छोटा क्षेत्र होता है, जो एक राजा द्वारा शासित होता है, जबकि साम्राज्य कई राज्यों का समूह होता है, जो एक सम्राट के अधीन होता है। साम्राज्य का दायरा और शक्ति राज्य की तुलना में बहुत बड़ा होता है।
2. राज्यों से साम्राज्यों में परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण कारक क्या हैं?
उत्तर:
राज्यों से साम्राज्यों में परिवर्तन के लिए निम्नलिखित कारक महत्वपूर्ण थे:
- सैन्य शक्ति: शक्तिशाली सेना के माध्यम से पड़ोसी राज्यों पर विजय प्राप्त करना।
- आर्थिक संसाधन: उपजाऊ भूमि, खनिज, और व्यापार से प्राप्त धन साम्राज्य विस्तार में सहायक था।
- प्रशासनिक व्यवस्था: कुशल प्रशासन और अधिकारियों की नियुक्ति से बड़े क्षेत्र का प्रबंधन संभव हुआ।
- संचार और परिवहन: सड़कें, नदियाँ, और व्यापारिक मार्गों ने साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों को जोड़ा।
- सांस्कृतिक एकीकरण: विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं को एकजुट करने की नीति।
- नेतृत्व और रणनीति: कुशल नेतृत्व और रणनीतिकारों (जैसे कौटिल्य) की सलाह ने साम्राज्य निर्माण में मदद की।
3. एलेक्जेंडर को विश्व इतिहास में एक महान शासक माना जाता है, आपके विचार से ऐसा क्यों है?
उत्तर:
एलेक्जेंडर को विश्व इतिहास में महान शासक माना जाता है क्योंकि:
- विशाल साम्राज्य: उसने तीन महाद्वीपों में फैला विशाल साम्राज्य स्थापित किया, जो विश्व के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक था।
- सैन्य कौशल: उसने अपनी रणनीति और साहस से फारसी साम्राज्य सहित कई क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की।
- सांस्कृतिक प्रभाव: उसने ग्रीक संस्कृति को पूर्वी क्षेत्रों में फैलाया, जिसे ‘हेलेनिस्टिक संस्कृति’ कहा गया।
- बुद्धिमत्ता और दर्शन: उसने भारतीय जिम्नोसोफिस्टों के साथ बौद्धिक संवाद किया, जो ग्रीक और भारतीय दर्शन का संगम था।
- उदारता: राजा पुरु के प्रति उसका सम्मानजनक व्यवहार (उसे क्षत्रप नियुक्त करना) उसकी उदारता को दर्शाता है।
4. प्रारंभिक भारतीय इतिहास में मौर्य वंश को महत्वपूर्ण माना जाता है। कारण बताएँ।
उत्तर:
मौर्य वंश को प्रारंभिक भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि:
- विशाल साम्राज्य: चंद्रगुप्त मौर्य ने भारत के अधिकांश हिस्सों को एकीकृत कर एक विशाल साम्राज्य बनाया।
- कुशल प्रशासन: कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ के आधार पर मौर्यों ने सुव्यवस्थित प्रशासन और कर प्रणाली लागू की।
- आर्थिक समृद्धि: व्यापारिक मार्गों और सिक्कों के उपयोग ने आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया।
- सांस्कृतिक योगदान: अशोक के शिलालेख, स्तूप, और धर्मचक्र जैसे प्रतीकों ने भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया।
- धर्म का प्रसार: अशोक ने बौद्ध धर्म को श्रीलंका, थाईलैंड, और मध्य एशिया तक फैलाया।
- वास्तुकला और कला: साँची का स्तूप और सारनाथ का सिंह स्तंभ मौर्य काल की उत्कृष्ट कला के उदाहरण हैं।
5. कौटिल्य के कुछ प्रमुख विचार क्या थे? इनमें से कौन-से विचार आप आज भी आस-पास देख सकते हैं?
उत्तर:
कौटिल्य के प्रमुख विचार:
- सप्तांग सिद्धांत: राज्य के सात अंग (स्वामी, अमात्य, जनपद, दुर्ग, कोष, दंड, मित्र) मिलकर एक समृद्ध राज्य बनाते हैं।
- प्रजा का कल्याण: राजा की शक्ति प्रजा के कल्याण और ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि से आती है।
- कानून और व्यवस्था: भ्रष्टाचार रोकने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए कठोर कानून और दंड।
- आर्थिक प्रबंधन: व्यापार, कर संग्रह, और संसाधनों का नियंत्रण।
- लोक-कल्याण: सड़कें, तटबंध, और गाँवों का सौंदर्यीकरण जैसे कार्य।
आज दिखने वाले विचार:
- प्रजा का कल्याण: आधुनिक सरकारें जनकल्याण योजनाओं (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य) पर ध्यान देती हैं।
- कानून और व्यवस्था: भ्रष्टाचार विरोधी कानून और न्याय प्रणाली आज भी प्रासंगिक हैं।
- आर्थिक प्रबंधन: कर प्रणाली और व्यापार नियमन आज की अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं।
- लोक-कल्याण: सड़कों, पुलों, और बुनियादी ढाँचे का विकास आज भी सरकारों का प्रमुख कार्य है।
6. अशोक और उसके साम्राज्य के बारे में असाधारण बातें क्या थीं? उनमें से कौन-सी बातें आज भी भारत को प्रभावित करती रही हैं और क्यों? (लगभग 250 शब्दों में)
उत्तर:
अशोक और उनके साम्राज्य की असाधारण बातें निम्नलिखित थीं:
विशाल साम्राज्य: अशोक ने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों को एकीकृत कर एक विशाल साम्राज्य बनाया, जो प्रशासनिक और आर्थिक दृष्टि से मजबूत था।
कलिंग युद्ध और परिवर्तन: कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने हिंसा का त्याग कर अहिंसा और बौद्ध धर्म को अपनाया, जो उनकी दयालुता और नैतिकता को दर्शाता है।
शिलालेख: अशोक ने प्राकृत भाषा में ब्राह्मी लिपि में शिलालेख उत्कीर्ण करवाए, जिनमें धर्म, नैतिकता, और जनकल्याण के संदेश थे।
धर्म का प्रसार: उन्होंने बौद्ध धर्म को श्रीलंका, थाईलैंड, और मध्य एशिया तक फैलाया, जिसने भारतीय संस्कृति को विश्व स्तर पर पहचान दी।
लोक-कल्याण: अशोक ने सड़कों, कुओं, विश्रामगृहों, और चिकित्सकीय सुविधाओं का निर्माण करवाया। उन्होंने पशु क्रूरता पर प्रतिबंध लगाया और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया।
आज का प्रभाव:
अशोक की विरासत आज भी भारत को प्रभावित करती है। सारनाथ का सिंह स्तंभ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है, जो शक्ति और एकता का प्रतीक है। धर्मचक्र राष्ट्रीय ध्वज में शामिल है, जो बौद्ध धर्म और नैतिकता को दर्शाता है। ‘सत्यमेव जयते’ का आदर्श वाक्य भारतीय मूल्यों को प्रतिबिंबित करता है। अशोक का सहिष्णुता और अहिंसा का दर्शन आज भी भारत की धर्मनिरपेक्षता और शांति की नीति में दिखता है। उनकी जनकल्याण नीतियाँ आधुनिक भारत की कल्याणकारी योजनाओं का आधार हैं।
7. अशोक के उपरोक्त शिलालेख को पढ़ने के उपरांत, क्या आपको लगता है कि वे अन्य धार्मिक विश्वासों और विचारधाराओं के प्रति सहिष्णु थे? अपने विचार कक्षा में साझा कीजिए।
उत्तर: हाँ, अशोक के शिलालेख से स्पष्ट होता है कि वे अन्य धार्मिक विश्वासों और विचारधाराओं के प्रति सहिष्णु थे। शिलालेख में उन्होंने बौद्ध संघ, ब्राह्मणों, जैनियों (आजीवकों), और अन्य संप्रदायों के लिए धम्माधिकारियों की नियुक्ति का उल्लेख किया है। इससे पता चलता है कि वे सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान रखते थे और सभी संप्रदायों के कल्याण के लिए कार्य करते थे। उन्होंने विभिन्न संप्रदायों को एक-दूसरे की शिक्षाओं का अध्ययन करने और स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित किया, जो उनकी सहिष्णुता और समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है। यह नीति आज के भारत की धर्मनिरपेक्षता का आधार है।
8. ब्राह्मी लिपि एक लेखन प्रणाली थी जिसका प्राचीन भारत में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था। इस लिपि के बारे में अधिक जानने का प्रयास कीजिए। जहाँ भी आवश्यक हो, अपने शिक्षक से सहायता लीजिए। एक लघु कार्य परियोजना बनाएँ और इस दौरान आपने ब्राह्मी लिपि के बारे में जो कुछ भी सीखा, उसे संलग्न कीजिए।
उत्तर:
लघु कार्य परियोजना: ब्राह्मी लिपि
ब्राह्मी लिपि क्या है?
ब्राह्मी लिपि प्राचीन भारत की सबसे पुरानी लेखन प्रणालियों में से एक है, जिसका उपयोग मौर्य काल (तीसरी शताब्दी सा.सं.पू.) में व्यापक रूप से किया जाता था। यह प्राकृत भाषा को लिखने के लिए उपयोग की जाती थी और यह भारत की सभी क्षेत्रीय लिपियों की जननी मानी जाती है।
विशेषताएँ:
- यह बाएँ से दाएँ लिखी जाती थी।
- इसमें स्वर और व्यंजन के लिए अलग-अलग चिह्न थे।
- यह सरल और व्यवस्थित थी, जिससे इसे पढ़ना और लिखना आसान था।
उपयोग:
- अशोक के शिलालेख ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण किए गए थे, जिनमें धर्म और जनकल्याण के संदेश थे।
- यह व्यापार, प्रशासन, और धार्मिक ग्रंथों को लिखने के लिए उपयोग की जाती थी।
आधुनिक प्रभाव:
- ब्राह्मी लिपि से देवनागरी, तमिल, तेलुगु, और अन्य भारतीय लिपियाँ विकसित हुईं।
- यह भारतीय संस्कृति और लेखन परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
9. मान लीजिए कि आपको तीसरी शताब्दी सा.सं.पू. में कौशांबी से कावेरीपट्टनम की यात्रा करनी है। आप यह यात्रा कैसे करेंगे? इस यात्रा के दौरान आप कहाँ-कहाँ ठहरेंगे और आपको इसमें कितना समय लगेगा?
उत्तर:
यात्रा योजना: कौशांबी से कावेरीपट्टनम (तीसरी शताब्दी सा.सं.पू.)
यात्रा का मार्ग: कौशांबी (वर्तमान उत्तर प्रदेश) से कावेरीपट्टनम (वर्तमान तमिलनाडु) तक की यात्रा दक्षिणापथ व्यापारिक मार्ग से की जाएगी। यह मार्ग मध्य भारत के नगरों जैसे विदिशा, उज्जयिनी, और प्रतिष्ठान से होकर दक्षिण भारत तक जाता था।
परिवहन के साधन:
- बैलगाड़ी: अधिकांश यात्रा बैलगाड़ियों से की जाएगी, जो सामान और यात्रियों को ले जाने के लिए उपयुक्त थीं।
- घोड़ा या पैदल: छोटे रास्तों के लिए घोड़े या पैदल यात्रा।
- नदी मार्ग: यदि संभव हो, तो नर्मदा या गोदावरी जैसी नदियों पर नावों का उपयोग।
ठहरने के स्थान:
- विदिशा: मध्य भारत का एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र।
- उज्जयिनी: मौर्य काल का महत्वपूर्ण नगर, जहाँ विश्रामगृह उपलब्ध होंगे।
- प्रतिष्ठान (पैठण): दक्षिण की ओर बढ़ते समय यहाँ रुकना।
- तगारा: दक्षिण भारत का एक व्यापारिक नगर।
- कावेरीपट्टनम: अंतिम गंतव्य, जो कावेरी नदी के किनारे एक प्रमुख बंदरगाह था।
समय:
- यात्रा की दूरी लगभग 1500-2000 किलोमीटर होगी।
- बैलगाड़ी से यात्रा की औसत गति 20-30 किमी प्रतिदिन थी।
- विश्राम, मौसम, और अन्य बाधाओं को ध्यान में रखते हुए, यात्रा में लगभग 2-3 महीने लग सकते हैं।
सावधानियाँ:
- व्यापारिक मार्गों पर लुटेरों से बचाव के लिए सैनिकों या व्यापारी समूहों के साथ यात्रा।
- पर्याप्त भोजन, पानी, और विश्रामगृहों का उपयोग।
- स्थानीय व्यापारियों और अधिकारियों से संपर्क बनाए रखना।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Page 83)
प्रश्न 1: साम्राज्य क्या होता है?
उत्तर: साम्राज्य एक विशाल क्षेत्र होता है जिसमें कई छोटे-छोटे राज्य या क्षेत्र शामिल होते हैं। ये सभी क्षेत्र एक शक्तिशाली शासक या सम्राट के अधीन होते हैं। साम्राज्य की राजधानी आर्थिक और प्रशासनिक रूप से महत्वपूर्ण होती है, जहाँ से सम्राट पूरे साम्राज्य का शासन चलाता है। साम्राज्य में सम्राट की सर्वोच्च सत्ता होती है, और छोटे राज्यों के राजा उसकी आज्ञा का पालन करते हैं। प्राचीन भारत में साम्राज्य को ‘समराज’, ‘अधिराज’ या ‘राजाधिराज’ जैसे शब्दों से जाना जाता था, जिसका अर्थ है ‘सर्वोच्च शासक’ या ‘राजाओं का राजा’।
प्रश्न 2: साम्राज्यों का उदय कैसे हुआ और उन्होंने भारतीय सभ्यता को कैसे आकार दिया?
उत्तर:
साम्राज्यों का उदय: साम्राज्यों का उदय शक्तिशाली राज्यों द्वारा छोटे राज्यों को जीतने और उन्हें एकजुट करने से हुआ। प्राचीन भारत में मगध जैसे राज्य संसाधनों से समृद्ध थे, जैसे उपजाऊ भूमि, नदियाँ, और खनिज। इन संसाधनों ने सेना और अर्थव्यवस्था को मजबूत किया, जिससे मगध जैसे राज्यों ने साम्राज्य बनाए। उदाहरण के लिए, मौर्य साम्राज्य का उदय चंद्रगुप्त मौर्य ने नंद वंश को हराकर किया। कुशल प्रशासन, व्यापार, और सैन्य शक्ति ने साम्राज्यों के विस्तार में मदद की।
भारतीय सभ्यता पर प्रभाव: साम्राज्यों ने भारतीय सभ्यता को कई तरह से प्रभावित किया। उन्होंने कला, साहित्य, और धर्म को प्रोत्साहन दिया, जैसे अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रसार किया। व्यापारिक मार्गों और सिक्कों के उपयोग से अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। सुनियोजित नगर, सड़कें, और शिलालेखों ने प्रशासन और संचार को बेहतर बनाया। साम्राज्यों ने विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं को एकजुट किया, जिससे भारतीय सभ्यता समृद्ध और विविध बनी।
प्रश्न 3: राज्य से साम्राज्य बनने में कौन-कौन से तत्व सहायक हुए?
उत्तर:
राज्य से साम्राज्य बनने में निम्नलिखित तत्व सहायक थे:
- शक्तिशाली सेना: साम्राज्य बनाने के लिए पड़ोसी राज्यों पर विजय प्राप्त करने और सीमाओं की रक्षा के लिए मजबूत सेना जरूरी थी।
- प्रशासनिक तंत्र: कर संग्रह, विधि-व्यवस्था, और क्षेत्र प्रबंधन के लिए कुशल प्रशासनिक व्यवस्था बनाई गई।
- संसाधनों का नियंत्रण: खनिज, कृषि, और वन संसाधनों पर नियंत्रण ने साम्राज्य की आर्थिक शक्ति बढ़ाई।
- संचार और व्यापार: राजमार्ग, नदियाँ, और व्यापारिक मार्गों ने प्रशासन और व्यापार को सुचारु बनाया।
- कला और संस्कृति को प्रोत्साहन: साम्राज्यों ने कला, साहित्य, और धर्म को बढ़ावा देकर लोगों को एकजुट किया।
- मानक प्रणाली: सिक्कों, माप-तौल, और विधि निर्माण ने साम्राज्य को संगठित और शक्तिशाली बनाया।
प्रश्न 4: छठी शताब्दी सा.सं.पू. से दूसरी शताब्दी सा.सं.पू. तक का जीवन कैसा था?
उत्तर:
छठी शताब्दी सा.सं.पू. से दूसरी शताब्दी सा.सं.पू. तक का जीवन साम्राज्यों के उदय और विकास के कारण विविध और समृद्ध था। इस काल में:
- नगरीय जीवन: पाटलिपुत्र जैसे नगर शासन और व्यापार के केंद्र थे। इनमें सुनियोजित सड़कें, प्रासाद, और सार्वजनिक भवन थे। बाजारों में देश-विदेश से व्यापारी आते थे, जहाँ रेशम, मसाले, रत्न, और वस्त्रों का व्यापार होता था।
- कृषि और अर्थव्यवस्था: गंगा के मैदानों में उपजाऊ भूमि और लोहे के हल से कृषि उत्पादन बढ़ा। दो फसलें बोई जाती थीं, जिससे भोजन की कमी कम थी। अन्न भंडार बनाए गए ताकि दुर्भिक्ष में सहायता मिल सके।
- कारीगर और शिल्प: लोहार, कुम्हार, बढ़ई, और जौहरी जैसे कारीगर नगरों में रहते थे। लोहे के हथियार और औजारों ने युद्ध और कृषि को बेहतर बनाया।
- सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन: लोग सूती वस्त्र और चमड़े के जूते पहनते थे। सड़कों पर नट, नर्तक, और कलाकार मनोरंजन करते थे। बौद्ध और जैन धर्म का प्रभाव बढ़ा, और अशोक जैसे शासकों ने धर्म का प्रसार किया।
- प्रशासन और संचार: साम्राज्यों में संगठित कराधान और प्रशासन था। संदेशवाहक संचार का माध्यम थे। सड़कों पर पानी के बर्तन और विश्रामगृह बनाए गए।
- वास्तुकला और कला: अशोक के स्तंभ, स्तूप, और शिलालेख इस काल की उत्कृष्ट कला के उदाहरण हैं। साँची का स्तूप और सारनाथ का सिंह स्तंभ प्रसिद्ध हैं।
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