Solutions For All Chapters – SST Class 7
1. कल्पना कीजिए कि आपको गुप्त साम्राज्य में रहने वाले किसी व्यक्ति से एक पत्र मिलता है। पत्र का आरंभ इस प्रकार होता है— “पाटलिपुत्र से अभिवादन। यहाँ का जीवन सुखमय और उत्साह से भरा है। कल ही मैंने देखा …” गुप्त साम्राज्य में जीवन का वर्णन करते हुए एक संक्षिप्त लेख (250-300 शब्दों) के साथ पत्र को पूरा कीजिए।
उत्तर:
पाटलिपुत्र से अभिवादन। यहाँ का जीवन सुखमय और उत्साह से भरा है। कल ही मैंने देखा कि पाटलिपुत्र के बाजार रंग-बिरंगे कपड़ों, मसालों और रत्नों से भरे हुए हैं। व्यापारी दूर-दूर से आते हैं, यहाँ तक कि रोम और चीन से भी। लोग खुशहाल हैं और गलियाँ साफ-सुथरी हैं। मैंने सुना कि सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय की सभा में विद्वान और कवि अपनी रचनाएँ सुनाते हैं। कालिदास जैसे महाकवि की कविताएँ सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है।
हमारे शहर में भव्य मंदिर और बौद्ध विहार हैं। नालंदा विश्वविद्यालय में विदेशी छात्र भी पढ़ने आते हैं। यहाँ के वैद्य जरूरतमंदों को मुफ्त दवाएँ देते हैं। गुप्त काल में धातु विज्ञान भी बहुत उन्नत है। मैंने दिल्ली के लौह-स्तंभ के बारे में सुना, जो बिना जंग लगे सैकड़ों वर्षों से खड़ा है। यह हमारी वैज्ञानिक प्रगति का प्रतीक है। गाँवों में किसान खुशहाल हैं, और कर के रूप में वे अपनी फसल का हिस्सा देते हैं। यहाँ का शासन व्यवस्थित है, और लोग धर्मनिष्ठ और दयालु हैं। मुझे गर्व है कि मैं इस स्वर्ण युग का हिस्सा हूँ। आशा है तुम भी यहाँ आकर इस वैभव को देखोगे।
तुम्हारा मित्र, ……….
2. किस गुप्तकालीन शासक को ‘विक्रमादित्य’ के नाम से भी जाना जाता है?
उत्तर: गुप्तकालीन शासक चंद्रगुप्त द्वितीय को ‘विक्रमादित्य’ के नाम से भी जाना जाता है।
3. “शांतिकाल सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन, साहित्य तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास लाने में सहायक होते हैं।” गुप्त साम्राज्य के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिए।
उत्तर: गुप्त साम्राज्य का काल शांतिकाल था, जिसने सामाजिक, सांस्कृतिक, साहित्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास किया। शांति और स्थिरता के कारण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई, जिससे कला और साहित्य को प्रोत्साहन मिला। कालिदास जैसे कवियों ने ‘मेघदूतम्’ जैसी रचनाएँ लिखीं। आर्यभट और वराहमिहिर ने गणित और खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जैसे पृथ्वी की धुरी पर घूमने की अवधारणा। धातु विज्ञान में प्रगति का उदाहरण दिल्ली का लौह-स्तंभ है, जो जंग-मुक्त है। आयुर्वेद में चरक संहिता और सुश्रुत संहिता को संकलित किया गया। अजंता की गुफाएँ और मूर्तियाँ कला की उत्कृष्टता दर्शाती हैं। इस प्रकार, गुप्त काल का शांतिकाल इन क्षेत्रों में प्रगति के लिए सहायक था।
4. किसी गुप्तकालीन शासक की राजसभा के एक दृश्य का नाटकीय रूपांतरण कीजिए, जिसमें राजा, मंत्री और विद्वानों जैसी भूमिकाएँ हों। इस प्रकार आप गुप्त युग को पुनर्जीवित कर सकते हैं।
उत्तर:
नाटकीय रूपांतरण: चंद्रगुप्त द्वितीय की राजसभा
स्थान: पाटलिपुत्र का भव्य राजमहल
पात्र: चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य), मंत्री विश्वनाथ, कवि कालिदास, खगोलशास्त्री आर्यभट, सैन्य कमांडर अमरसेन।
दृश्य: (राजा चंद्रगुप्त द्वितीय सिंहासन पर विराजमान हैं। राजसभा में विद्वान और मंत्री उपस्थित हैं।)
चंद्रगुप्त द्वितीय: स्वागत है, मेरे प्रिय सभासदों! आज हम साम्राज्य की प्रगति और नवीन विचारों पर चर्चा करेंगे। विश्वनाथ, व्यापार की स्थिति कैसी है?
विश्वनाथ (मंत्री): महाराज, हिंद महासागर के रास्ते रोम और चीन के साथ व्यापार बढ़ रहा है। हमारे मसाले और रत्न विदेशों में प्रसिद्ध हैं। कर संग्रह से खजाना भरा है।
कालिदास (कवि): महाराज, मैंने एक नया काव्य ‘मेघदूतम्’ लिखा है, जो प्रेम और प्रकृति का वर्णन करता है। इसे आपकी सभा में सुनाने की अनुमति चाहता हूँ।
चंद्रगुप्त द्वितीय: अवश्य, कालिदास! तुम्हारी कविता हमारी संस्कृति को समृद्ध करती है। आर्यभट, तुम्हारे शोध की क्या प्रगति है?
आर्यभट: महाराज, मैंने गणना की है कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है, जिससे दिन-रात होते हैं। मैं इसे अपने ग्रंथ ‘आर्यभटीय’ में लिख रहा हूँ।
अमरसेन (सैन्य कमांडर): महाराज, हमारी सेना शक्तिशाली है। हूणों के आक्रमण को रोकने के लिए मैंने सीमाओं पर चौकियाँ मजबूत की हैं।
चंद्रगुप्त द्वितीय: उत्तम! हमारी शक्ति विद्या, कला और सेना में है। यह सभा गुप्त साम्राज्य के स्वर्ण युग का प्रतीक है।
(सभी सभासद तालियाँ बजाते हैं, और कालिदास अपनी कविता सुनाना शुरू करते हैं।)
5. मिलान कीजिए—
उत्तर:
क्रम | अ | ब |
---|---|---|
(1) | कांचीपुरम | (घ) ‘एक हजार मंदिरों का शहर’ के लिए प्रसिद्ध |
(2) | उज्जयिनी | (ङ) प्राचीन भारत में शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र |
(3) | उदयगिरि | (ख) यह स्थान चट्टान काटकर बनाई गई गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है, जिनमें हिंदू देवी-देवताओं, विशेषकर भगवान विष्णु की उत्कृष्ट प्रतिमाएँ उत्कीर्ण की गई हैं। |
(4) | अजंता | (क) जातक कथाओं को दर्शाने वाले जीवंत गुफा चित्रों के लिए प्रसिद्ध |
(5) | पाटलिपुत्र | (ग) गुप्त शासकों की राजधानी |
6. पल्लव कौन थे और उन्होंने कहाँ शासन किया?
उत्तर: पल्लव एक शक्तिशाली राजवंश था, जिसने सातवाहन वंश के पतन के बाद दक्षिण भारत में शक्ति प्राप्त की। उन्होंने वर्तमान तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के कुछ भागों पर शासन किया। उनकी राजधानी कांचीपुरम थी, जिसे ‘एक हजार मंदिरों का नगर’ कहा जाता है। पल्लव कला और वास्तुकला के संरक्षक थे और भव्य मंदिरों व गुफाओं के निर्माण के लिए प्रसिद्ध थे।
7. अपने शिक्षकों के साथ निकट के किसी ऐतिहासिक स्थल, संग्रहालय या विरासत भवन की यात्रा का आयोजन कीजिए। यात्रा के बाद अपने अनुभव का वर्णन करते हुए एक विस्तृत रिपोर्ट लिखिए।
उत्तर:
रिपोर्ट: कुतुब मीनार की यात्रा
स्थान: कुतुब मीनार, महरौली, दिल्ली
तारीख: …….
- विवरण: हमारी कक्षा ने पिछले सप्ताह अपने शिक्षकों के साथ दिल्ली के कुतुब मीनार की यात्रा की। यह यात्रा बहुत रोचक और ज्ञानवर्धक थी। कुतुब मीनार भारत का सबसे ऊँचा मीनार है, जिसे 12वीं शताब्दी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू किया था और इल्तुतमिश ने पूरा किया।
- ऐतिहासिक महत्व: कुतुब मीनार दिल्ली सल्तनत की स्थापना का प्रतीक है। पास में ही प्रसिद्ध लौह-स्तंभ है, जो गुप्त काल का है। हमारे गाइड ने बताया कि यह स्तंभ 1600 वर्ष पुराना है और इसमें जंग नहीं लगता, जो प्राचीन भारत के धातु विज्ञान की उन्नति को दर्शाता है।
- वास्तुकला: कुतुब मीनार की वास्तुकला अद्भुत है। इसकी पाँच मंजिलें हैं, और प्रत्येक मंजिल पर नक्काशी और अरबी शिलालेख हैं। पास के कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद में हिंदू और जैन मंदिरों के अवशेष दिखे, जो उस समय की सांस्कृतिक मिश्रण को दर्शाते हैं।
- कलाकृतियाँ: हमने लौह-स्तंभ पर चंद्रगुप्त द्वितीय के समय के शिलालेख देखे। यह भगवान विष्णु को समर्पित था। गाइड ने बताया कि इसे पहले उदयगिरि से लाया गया था।
- रोचक तथ्य: मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि लौह-स्तंभ की सतह पर एक विशेष रासायनिक परत है, जो इसे जंग से बचाती है। यह प्राचीन भारतीय विज्ञान की महान उपलब्धि है।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Page 145)
प्रश्न 1: गुप्त कौन थे? गुप्त काल को कभी-कभी भारतीय इतिहास में ‘उत्कृष्ट युग’ (क्लासिकल ऐज) क्यों कहा जाता है?
उत्तर: गुप्त एक शक्तिशाली राजवंश था, जिसने तीसरी से छठी शताब्दी सा.सं. तक भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर शासन किया। उनकी उत्पत्ति वर्तमान उत्तर प्रदेश के क्षेत्र से मानी जाती है। गुप्त साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) थी। इस वंश के प्रमुख शासकों में चंद्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) शामिल थे।
गुप्त काल को भारतीय इतिहास में ‘उत्कृष्ट युग’ (क्लासिकल ऐज) इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दौरान कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, और धातु विज्ञान में अभूतपूर्व प्रगति हुई। इस काल में नालंदा विश्वविद्यालय जैसे शिक्षा केंद्र फले-फूले, संस्कृत साहित्य में कालिदास जैसे महाकवियों ने रचनाएँ कीं, और आर्यभट जैसे विद्वानों ने गणित व खगोल विज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। दिल्ली का लौह स्तंभ, जो आज भी जंगमुक्त है, गुप्तकालीन धातु विज्ञान की उन्नति का प्रतीक है। इसके अलावा, इस काल में शांति और स्थिरता ने सांस्कृतिक और बौद्धिक विकास को बढ़ावा दिया, जिसने भारतीय संस्कृति को समृद्ध किया।
प्रश्न 2: इस समय भारतीय उपमहाद्वीप के अन्य भागों में क्या हो रहा था?
उत्तर:
गुप्त काल (तीसरी से छठी शताब्दी सा.सं.) के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न भागों में कई अन्य राजवंश शासन कर रहे थे और सांस्कृतिक गतिविधियाँ चल रही थीं। कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
- वाकाटक राज्य: मध्य भारत में वाकाटक राजवंश शासन कर रहा था। उनकी राजधानी नंदिवर्धन (वर्तमान नागपुर के पास) थी। वे गुप्तों के सहयोगी थे और कला व वास्तुकला में योगदान दे रहे थे।
- पल्लव राज्य: दक्षिण भारत में पल्लव वंश ने सातवाहनों के पतन के बाद शक्ति प्राप्त की। उनकी राजधानी कांचीपुरम थी, जो शिक्षा और मंदिर निर्माण के लिए प्रसिद्ध थी। पल्लवों ने भव्य मंदिर और चट्टान काटकर बनाई गई गुफाएँ बनवाईं।
- कामरूप राज्य: पूर्वोत्तर भारत में वर्मन राजवंश के अधीन कामरूप साम्राज्य (वर्तमान असम और आसपास के क्षेत्र) एक प्रमुख सांस्कृतिक और राजनीतिक केंद्र था। यहाँ मंदिर और मठ शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित हुए।
- व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान: इस समय भारतीय बंदरगाहों के माध्यम से रोम, मिस्र, और दक्षिण-पूर्व एशिया के साथ व्यापार फल-फूल रहा था। सोकोट्रा द्वीप जैसे स्थान व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के महत्वपूर्ण केंद्र थे।
इस प्रकार, गुप्त काल में भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में राजनैतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक गतिविधियाँ जोरों पर थीं।
प्रश्न 3: इस काल के कुछ महान व्यक्ति कौन थे? आज भी उनके बारे में प्रचलित कथाएँ क्यों महत्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
गुप्त काल में कई महान व्यक्तियों ने अपने कार्यों से इतिहास में अमर स्थान बनाया। इनमें से कुछ प्रमुख व्यक्ति निम्नलिखित हैं:
चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य): वे गुप्त साम्राज्य के महान शासक थे, जिन्होंने साम्राज्य का विस्तार किया और कला, साहित्य, और विज्ञान को प्रोत्साहन दिया। दिल्ली का लौह स्तंभ उनके शासनकाल की उपलब्धि है। उनकी वीरता और विद्वानों के संरक्षण की कहानियाँ आज भी प्रेरणादायक हैं।
समुद्रगुप्त: वे एक महान योद्धा और कला प्रेमी थे। प्रयाग प्रशस्ति में उनकी उपलब्धियों का वर्णन है। उनके सिक्कों पर वीणा बजाते हुए चित्रण से पता चलता है कि वे कला के भी संरक्षक थे।
कालिदास: महाकवि कालिदास ने संस्कृत साहित्य में मेघदूतम् और रघुवंशम् जैसी कालजयी रचनाएँ लिखीं। उनकी रचनाएँ भारतीय संस्कृति और प्रकृति के सौंदर्य को दर्शाती हैं।
आर्यभट: गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट ने ‘आर्यभटीय’ ग्रंथ लिखा, जिसमें उन्होंने पृथ्वी की गति और ग्रहण की व्याख्या की। उनकी गणनाएँ आज भी वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं।
वराहमिहिर: खगोलशास्त्री और ज्योतिषी वराहमिहिर ने ‘वृहत्संहिता’ ग्रंथ में खगोल, मौसम, और वास्तुकला जैसे विषयों पर लिखा। उनके कार्य ने वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया।
इन कथाओं का महत्व:
इन महान व्यक्तियों की कथाएँ आज भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये हमें गुप्त काल की सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, और बौद्धिक उपलब्धियों के बारे में बताती हैं। ये कहानियाँ हमें प्रेरित करती हैं कि कैसे एक स्थिर और समृद्ध समाज में कला, विज्ञान, और साहित्य फल-फूल सकता है। कालिदास की रचनाएँ आज भी साहित्य प्रेमियों को आकर्षित करती हैं, और आर्यभट व वराहमिहिर के वैज्ञानिक योगदान आधुनिक विज्ञान की नींव हैं। ये कथाएँ भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत को दर्शाती हैं और हमें अपने इतिहास पर गर्व करने का अवसर देती हैं।
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