भारतीय सभ्यता का प्रारंभ
1. इस अध्याय में अध्ययन की गई सभ्यता के अनेक नाम क्यों हैं? इनके महत्व पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
सिंधु-सरस्वती सभ्यता को कई नामों से जाना जाता है, जैसे- सिंधु सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता और सिंधु-सरस्वती सभ्यता। इसके अनेक नाम होने के कारण हैं। पहला, इसे सिंधु सभ्यता इसलिए कहा गया क्योंकि यह सिंधु नदी के आस-पास विकसित हुई थी। दूसरा, हड़प्पा सभ्यता इसलिए क्योंकि हड़प्पा इस सभ्यता का पहला खोजा गया नगर था। तीसरा, सिंधु-सरस्वती सभ्यता इसलिए क्योंकि यह सरस्वती नदी के क्षेत्र में भी फैली थी। इन नामों का महत्व यह है कि ये इस सभ्यता के विस्तार और खोज के इतिहास को दर्शाते हैं। यह बताते हैं कि यह सभ्यता बहुत बड़ी थी और केवल एक नदी तक सीमित नहीं थी।
2. सिंधु-सरस्वती सभ्यता की उपलब्धियों का सार देते हुए संक्षिप्त रिपोर्ट (150 से 200 शब्द) लिखिए।
उत्तर:
सिंधु-सरस्वती सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन और उन्नत सभ्यताओं में से एक थी। इसने 2600 से 1900 सा.सं.पू. के बीच भारतीय उपमहाद्वीप में फली-फूली। इस सभ्यता की सबसे बड़ी उपलब्धि थी इसके सुनियोजित नगर, जैसे हड़प्पा और मोहनजोदड़ो, जहाँ चौड़ी सड़कें, जल-निकास व्यवस्था और किलेबंदी थी। हड़प्पावासियों ने जल प्रबंधन में महारत हासिल की थी, जैसे धौलावीरा में विशाल जलाशय बनाना। वे कृषि में कुशल थे और गेहूँ, जौ, कपास जैसी फसलें उगाते थे। व्यापार में भी वे आगे थे; उन्होंने आभूषण, कपास और बर्तनों का मेसोपोटामिया तक निर्यात किया। उनकी मुहरें और लेखन प्रणाली व्यापार और संवाद के लिए थीं। शिल्प में वे कांस्य, मिट्टी और पत्थर से वस्तुएँ बनाते थे, जैसे नर्तकी की मूर्ति। यह सभ्यता शांतिपूर्ण थी, क्योंकि युद्ध के कोई सबूत नहीं मिले। हालांकि, जलवायु परिवर्तन और सरस्वती नदी के सूखने से इसका ह्रास हुआ। फिर भी, इसकी तकनीक और संस्कृति आगे की सभ्यताओं में बनी रही। यह सभ्यता हमें पर्यावरण और योजना के महत्व को सिखाती है।
3. कल्पना कीजिए कि आपको हड़प्पा से कालीबंगा तक यात्रा करनी है। आपके पास विभिन्न विकल्प क्या हैं? क्या आप प्रत्येक विकल्प में लगने वाले समय का अनुमान लगा सकते हैं?
उत्तर:
हड़प्पा से कालीबंगा तक यात्रा के लिए उस समय तीन मुख्य विकल्प हो सकते थे:
- पैदल यात्रा: हड़प्पावासी पैदल चलते थे। हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान) से कालीबंगा (राजस्थान, भारत) की दूरी लगभग 300-400 किलोमीटर हो सकती है। एक दिन में 20-25 किलोमीटर चलें, तो इसमें 15-20 दिन लग सकते थे।
- बैलगाड़ी से: बैलगाड़ी उस समय आम थी। यह 10-15 किलोमीटर प्रतिदिन चल सकती थी। इसमें 25-30 दिन लगते।
- नदी मार्ग: यदि सिंधु और सरस्वती नदियों का उपयोग नाव से किया जाए, तो यह तेज़ हो सकता था। नदी के रास्ते और मौसम पर निर्भर करते हुए 10-15 दिन लग सकते थे।
ये अनुमान उस समय की तकनीक और रास्तों पर आधारित हैं।
4. कल्पना कीजिए कि यदि हड़प्पा के किसी पुरुष या महिला को हम आज के भारत के सामान्य रसोईघर में ले आते हैं, तो उन्हें सबसे बड़े चार या पाँच आश्चर्य क्या लगेंगे?
उत्तर:
यदि हड़प्पा सभ्यता के किसी पुरुष या महिला को हम आज के भारत के सामान्य रसोईघर में ले आते हैं, तो उन्हें सबसे बड़े चार या पाँच आश्चर्य यह लगेगा:
(i) गैस स्टोव: उन्हें आग जलाने के लिए लकड़ी, कोयले या अन्य किसी ईंधन का उपयोग करने की जगह एक छोटे से बटन से गैस का जलना ही उन्हें चमत्कारी लगेगा।
(ii) फ्रिज: भोजन और सामग्री को लंबे समय तक ठंडा और ताजा रखने की सुविधा उनके लिए अद्भुत होगी। हड़प्पा के लोग शायद भोजन को संरक्षित करने के लिए प्राकृतिक या सीमित तरीकों का उपयोग करते थे।
(iii) मिक्सर मशीन: मिक्सर जिसमें मसाले, दालें या अन्य चीजें पलभर में पीस दी जाती हैं, उनके लिए यह भी चमत्कार जैसा होगा।
(iv) पानी की व्यवस्था: हड़प्पा सभ्यता जल प्रबंधन में उन्नत थी, लेकिन आज के रसोईघर में नल से स्वच्छ पानी का बहना और गर्म/ठंडे पानी की उपलब्धता (गर्म पानी के लिए गीजर) उन्हें अत्यधिक प्रभावित करेगा।
(v) पैकेज और रेडी-टू-ईट फूड: आज की रसोई में उपलब्ध पैक किए गए मसाले, इंस्टेंट नूडल्स, और रेडी-टू-ईट भोजन जैसे उत्पाद उन्हें अत्यंत चकित करेंगे।
5. इस अध्याय के सभी चित्रों पर दृष्टि डालते हुए उन आभूषणों/हाव-भावों/वस्तुओं की सूची बनाइए, जो अभी भी 21 वीं शताब्दी में परिचित प्रतीत होती हैं।
उत्तर:
आभूषण/हाव-भाव/वस्तुएँ:
- चूड़ियाँ: ‘नृत्य करती लड़की’ मूर्ति द्वारा व्यापक रूप से पहनी जाती हैं।
- मिट्टी का बर्तन: ग्रामीण क्षेत्रों में भंडारण और खाना पकाने के लिए उपयोग किए जाने वाले बर्तनों के समान।
- आभूषण: आधुनिक डिजाइनों से मिलते जुलते मोती और हार।
- बोर्ड खेल: बोर्ड खेलों के समान आज भी खेले जाते हैं।
- मुहरें: आधुनिक मुहरों के समान, इनका उपयोग टिकटों और प्रमाणीकरण के लिए किया जाता है।
6. धौलावीरा के जलाशयों की प्रणाली क्या सोच प्रतिबिंबित करती है?
उत्तर:
धौलावीरा के जलाशयों की प्रणाली यह सोच दर्शाती है कि हड़प्पावासी जल प्रबंधन और भविष्य की योजना में बहुत समझदार थे। उन्होंने चट्टानों को काटकर बड़े जलाशय बनाए, जो पानी को संचय करने और सूखे से बचने में मदद करते थे। यह दिखाता है कि वे पानी की कमी को समझते थे और इसे दूर करने के लिए मेहनत करते थे। साथ ही, जलाशयों को नालियों से जोड़ना उनकी इंजीनियरिंग कुशलता और सामूहिक कार्य की सोच को दर्शाता है। यह पर्यावरण के साथ सामंजस्य और समाज की भलाई की चिंता को भी दिखाता है।
7. मोहनजोदड़ो में ईंटों से निर्मित 700 कुओं की गणना की गई है। ऐसा लगता है कि उनका नियमित रूप से रख-रखाव किया जाता रहा और अनेक शताब्दियों तक उनका उपयोग किया जाता रहा। निहितार्थों पर चर्चा कीजिए।
उत्तर:
मोहनजोदड़ो में 700 कुओं का होना और उनका रख-रखाव यह बताता है कि हड़प्पावासियों को स्वच्छ पानी की बहुत चिंता थी। इतने कुओं का मतलब है कि हर घर के पास पानी उपलब्ध था, जो उनकी उन्नत योजना को दिखाता है। नियमित रख-रखाव से पता चलता है कि उनके पास एक संगठित प्रशासन था, जो इन कुओं की सफाई और मरम्मत करता था। शताब्दियों तक उपयोग होने से लगता है कि यह सभ्यता लंबे समय तक स्थिर रही और लोगों में जिम्मेदारी का भाव था। इससे उनकी स्वच्छता, स्वास्थ्य और सामुदायिक जीवन की समझ भी झलकती है।
8. सामान्यतः यह कहा जाता है कि हड़प्पावासियों में नागरिकता का उच्च भाव था। इस कथन के महत्व पर चर्चा कीजिए। क्या आप इससे सहमत हैं? वर्तमान भारत के महानगरों के नागरिकों के साथ इसकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
हड़प्पावासियों में नागरिकता का उच्च भाव होने का मतलब है कि वे अपने समाज और नगरों के प्रति जिम्मेदार थे। उनकी सुनियोजित सड़कें, जल-निकास व्यवस्था और एकसमान घर यह दिखाते हैं कि वे नियमों का पालन करते थे और सबकी भलाई सोचते थे। इससे शांति और समानता बनी रही। मैं इससे सहमत हूँ, क्योंकि युद्ध के सबूत न मिलना और सबके लिए सुविधाएँ होना उनकी अच्छी नागरिकता को दर्शाता है।
वर्तमान भारत के महानगरों में नागरिकता का भाव कम दिखता है। यहाँ कचरा फेंकना, नियम तोड़ना और स्वार्थी व्यवहार आम है। हड़प्पावासियों की तुलना में आज हमें अपनी जिम्मेदारी और सामुदायिक भावना को बढ़ाने की जरूरत है।
महत्वपूर्ण प्रश्न (Page 85)
1. सभ्यता क्या है?
उत्तर:
सभ्यता का प्रयोग मानव समाज के एक सकारात्मक, प्रगतिशील और समावेशी विकास को संकेत करने के लिये किया जाता है। सभ्य समाज अक्सर उन्नत कृषि, लंबी दूरी के व्यापार, व्यावसायिक विशेषज्ञता और नगरीकरण आदि की उन्नत स्थिति का प्रकाश है।
2. भारतीय उपमहाद्वीप की आरंभिक सभ्यता कौन-सी थी?
उत्तर:
भारतीय उपमहाद्वीप की आरंभिक सभ्यता हड़प्पा सभ्यता थी।
3. उसकी मुख्य उपलब्धियाँ क्या थीं?
उत्तर:
उसकी मुख्य उपलब्धियां थी कृषि और पशुपालन का ज्ञान, कला और शिल्प, तकनीकी उन्नति, नगर व्यवस्था और, नगर नियोजन, जल निकास प्रणाली, वज़न और माप की, सटीक प्रणाली, बुनियादी ढांचा, मुद्रा, कराधान, और विनियमन, श्रम का विशेषीकरण।
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